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प्रशांत किशोर ने बनाई पार्टी

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पटना। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है। दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान को जन सुराज पार्टी में बदलने का ऐलान किया। बुधवार को पटना के वेटरनरी कॉलेज मैदान में प्रशांत किशोर ने जन सुराज को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया। दलित समुदाय से आने वाले मनोज भारती को जन सुराज का पहला कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है। प्रशांत किशोर ने पार्टी की स्थापना के साथ ही यह भी ऐलान किया कि वे राज्य की चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी का उम्मीदवार उतारेंगे।

बहरहाल, प्रशांत किशोर ने मनोज भारती को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाते हुए कहा- भारती को इसलिए अध्यक्ष नहीं चुना गया कि वे दलित समुदाय से हैं, बल्कि इसलिए चुना गया है कि वे काबिल हैं और दलित समुदाय से भी आते हैं। चार देशों में राजदूत रहे मनोज भारती मधुबनी के हैं। विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी मनोज भारती का कार्यकाल मार्च 2025 तक रहेगा। इसके बाद अध्यक्ष के लिए फिर से चुनाव होगा। वे नेतरहाट और आईआईटी दिल्ली से पढ़े हैं।

प्रशांत किशोर ने स्थापना दिवस के कार्यक्रम में कहा- 2025 तक नहीं रुकना है। 2024 में ही बिहार की दूसरी पार्टियों का हिसाब कर दिया जाएगा। नवंबर 2024 में बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज सीट पर जन सुराज पार्टी अपना उम्मीदवार उतारेगी। प्रशांत किशोर ने कहा- पार्टी में जन प्रतिनिधियों के लिए वापसी का अधिकार लागू होगा। अपेक्षा पर खरे नहीं उतरने वाले लोग वापस होंगे। पार्टी टिकट देने के पहले सभी से इस बारे में शपथ पत्र लेगी। अगर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक तिहाई लोग किसी जन प्रतिनिधि के खिलाफ प्रस्ताव लाते हैं तो उसको इस्तीफा देना होगा।

प्रशांत किशोर ने अपना एजेंडा बताते हुए कहा- अगर हमारी सरकार बनी तो हम बच्चों की क्वालिटी एजुकेशन पर जोर देंगे। युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी। बुजुर्गों को हर महीने दो हजार रुपए पेंशन मिलेगा। प्रशांत किशोर ने जय बिहार का नारा लगवाते हुए कहा- आप सभी को जय बिहार इतनी जोर से बोलना है कि कोई आपको और आपके बच्चों को बिहारी न कहे और यह एक गाली जैसा ना लगे। आपकी आवाज दिल्ली और बंगाल तक पहुंचनी चाहिए, जहां बिहार के छात्र हैं। इसे तमिलनाडु और मुंबई तक पहुंचना चाहिए, जहां भी बिहारी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया गया और उन्हें पीटा गया।

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