नई दिल्ली। संसद को सुचारू रूप से चलाने की सहमति के बावजूद कांग्रेस पार्टी अडानी का मुद्दा छोड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन की कुछ अन्य पार्टियों के सांसदों ने मंगलवार को संसद के बाहर अडानी के मसले पर प्रदर्शन किया। हालांकि इस प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सांसद शामिल नहीं हुए। गौरतलब है कि तृणमूल ने पहले ही कह दिया था कि वह अडानी के मसले पर संसद ठप्प करने के पक्ष में नहीं है। अब सपा ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। सपा ने संभल का मुद्दा उठाया और संसद के अंदर चर्चा में हिस्सा लिया।
इससे पहले मंगलवार को सुबह कार्यवाही शुरू होने के बाद कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन की कुछ पार्टियों ने अडानी और संभल मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। विपक्षी पार्टियों ने अडानी मसले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी बनाने की मांग दोहराई। सरकार इसे पहले ही खारिज कर चुकी है और वह चर्चा के लिए भी तैयार नहीं है। गौरतलब है कि एक दिन पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के साथ पक्ष और विपक्ष की बैठक हुई थी, जिसमें मंगलवार से संसद को सुचारू रूप से चलाने पर सहमति बनी थी। लेकिन मंगलवार की सुबह विपक्ष ने फिर हंगामा और प्रदर्शन किया।
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विपक्ष के प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने बिना विपक्ष के भी बिल पास कराने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा- देश को चलाने के लिए संसद चलना बहुत जरूरी है। संसद की कार्यवाही अगर ठीक से नहीं होगी तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान देश और विपक्ष के सांसदों को होता है। उन्होंने कहा- हम बिना चर्चा के भी बिल पास कर सकते हैं, क्योंकि हमारे पास बहुमत है। हालांकि ऐसा करना हमें ठीक नहीं लगता है।
अडानी के मुद्दे पर रिजीजू ने कहा- अगर किसी दूसरे देश में किसी भारतीय के खिलाफ कोर्ट में कोई आदेश आता है तो क्या सदन में उसकी चर्चा हमेशा जारी रहेगी? विपक्ष के कई सांसद इस बात को महसूस कर रहे हैं कि सदन को बाधित करना न तो देश हित में है और न ही विपक्ष के हित में है। उनका इशारा तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर था। रिजीजू ने सरकार की योजना बताते हुए कहा- हम 13 और 14 तारीख को लोकसभा में और 16 व 17 तारीख को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा करेंगे। और बिल भी पास कराएंगे।