नई दिल्ली। लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विधेयक को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही ‘एक देश, एक चुनाव’ का विधेयक संसद में पेश होने का रास्ता साफ हो गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में विधेयक को मंजूरी दी गई। कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते बिल को संसद में पेश किया जा सकता है।
बताया जा रह है कि सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है, इसलिए संसद में पेश करने के बाद बिल को चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी में भेजा जाएगा। जेपीसी इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी। साथ ही चुनाव आयोग से लेकर सभी संबंधित पक्षों की भी इस मामले में राय ली जाएगी। संयुक्त संसदीय समिति आम लोगों से भी उनकी राय पूछेगी।
गौरतलब है कि लोकसभ और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मसले पर विचार के लिए पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने इस साल मार्च में अपनी सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। उसके बाद सिफारिश सरकार के पास पहुंची, जिसने इस साल सितंबर में सिद्धांत रूप में इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
रामनाथ कोविंद कमेटी ने लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को चरणबद्ध तरीके से एक साथ कराने का प्रस्ताव दिया है। इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए संविधान के कई प्रावधानों में बदलाव करना होगी। सिफारिशों के अनुसार पहला बिल संविधान के अनुच्छेद 82ए में संशोधन करेगा, जिससे लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति एक साथ हो सके। इस बिल को लागू करने के लिए राज्यों से सहमति की जरूरत नहीं होगी, लेकिन अगर स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ करने का प्रस्ताव आता है, तो उसे कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी की आवश्यकता होगी।
कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एक देश, एक चुनाव’ का कानून लागू करने के लिए कई विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा।