नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 हटा कर जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में दो अगस्त से नियमित सुनवाई होगी। करीब चार साल से लंबित इन याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया और दो अगस्त से सुनवाई के लिए इसे सूचीबद्ध किए। इससे एक दिन पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा था कि राज्य में स्थायी शांति बहाली के लिए अनुच्छेद 370 को समाप्त करना ही एकमात्र उपाय था।
इस बीच मंगलवार को आईएएस अधिकारी शाह फैसल और सामाजिक कार्यकर्ता शेहला रशीद ने इस याचिका से अपना नाम वापस ले लिया है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई याचिकाकर्ता अपना नाम वापस लेना चाहता है, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। इसके बाद बेंच ने नाम वापसी की अनुमति दे दी। शेहला रशीद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ की उपाध्यक्ष रही हैं, जबकि शाह फैसल जम्मू कश्मीर कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने पहले सेवा छोड़ दी थी लेकिन बाद में इस्तीफा वापस लेकर सेवा में लौट गए हैं।
बहरहाल, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया था। केंद्र ने कहा था कि जम्मू कश्मीर तीन दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा। इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था। इसलिए अनुच्छेद 370 को हटाया गया। मंगलवार को हुई सुनवाई में संविधान पीठ के अध्यक्ष चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- हम इन याचिकाओं पर दो अगस्त से सुबह साढ़े 10 बजे से सुनवाई करेंगे। हम 370 पर सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर हर दिन सुनवाई करेंगे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। अक्टूबर 2020 से संविधान पीठ ही इस मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाओं पर सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच करेगी। इसमें जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी होंगे।