नई दिल्ली। अमेरिकी सरकार का खर्च कम करने और प्रशासन की सक्षमता बढ़ाने के लिए बनाए गए विभाग डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के प्रमुख इलॉन मस्क ने चुनाव के समय भारत को होने वाली फंडिंग रोक दी है। भारत के चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अमेरिका की ओर से दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग रद्द कर दी है। मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी ने शनिवार को यह फैसला किया।
मस्क की अध्यक्षता वाले इस विभाग ने एक सूची जारी की है। इसमें डीओजीई की तरफ से 15 तरह के कार्यक्रमों की फंडिंग रद्द की गई है। इसमें एक प्रोग्राम दुनिया भर में चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए भी है, जिसका फंड 42 सौ करोड़ रुपए है। इस फंड में भारत की हिस्सेदारी 182 करोड़ रुपए की है। अमेरिका के इस फैसले पर भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया है कि इस फंड का इस्तेमाल भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया।
अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस पर भारत में चुनाव प्रक्रिया में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने भारत के चुनाव में 182 करोड़ की फंडिंग को लेकर सवाल उठाया। मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘21 मिलियन डॉलर यानी 182 करोड़ रुपए वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए? यह साफ तौर पर देश की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल है। इस फंड से किसे फायदा होगा। जाहिर है इससे सत्ताधारी भाजपा को तो फायदा नहीं होगा’।
एक दूसरे पोस्ट में अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और जॉर्ज सोरोस पर भारतीय चुनाव में दखल देने का आरोप लगाया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स के साथ एक समझौते पर दस्तखत किया था। ये संस्था जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ी है। इसे मुख्य तौर पर यूएसएड से आर्थिक मदद मिलती है।