बेंगलुरू। एक बड़े घटनाक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जमीन से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। राज्यपाल गहलोत ने शनिवार को इसकी आधिकारिक अनुमति दी। सिद्धारमैया पर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण यानी एमयूडीए की जमीन हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप है। इस मामले में को राज्यपाल ने 26 जुलाई को नोटिस जारी कर मुख्यमंत्री से सात दिन में जवाब मांगा था।
इसके जवाब में एक अगस्त को कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल को नोटिस वापस लेने की सलाह दी और उन पर संवैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दिए जाने के बाद राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस मामले में मुख्यमंत्री का समर्थन किया है। खुद मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्यपाल ने जो मंजूरी दी है उसके पीछे कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे पद पर बने रहेंगे और उन्हें पूरी पार्टी और सभी विधायकों का समर्थन हासिल है।
गौरतलब है कि एमयूडीए से जुड़े कथित घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने एमयूडीए अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी जमीन को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए। इस विवाद को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य की राजनीति में खूब हलचल है। कांग्रेस के कुछ नेताओं के भी इसमें शामिल होने की खबर है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को जो जमीन दिए जाने की बात हो रही है वह जमीन भाजपा की सरकार के समय ही दी गई थी। असल में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में तीन एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। एमयूडीए ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज तीन लेआउट विकास किया था। हालांकि इस जमीन के बदले 2022 में भाजपा की बसवराज बोम्मई सरकार ने पार्वती को साउथ मैसुरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे।
बहरहाल, मुकदमा चलाए जाने की अनुमति दिए जाने के बाद सिद्धारमैया ने कहा- राज्यपाल का फैसला पूरी तरह से असंवैधानिक है, हम इसे कानूनी रूप से चुनौती देंगे। उन्होंने कहा- राज्यपाल इस सरकार को बरदाश्त नहीं कर रहे हैं और हटाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भाजपा और जेडीएस पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने का आरोप भी लगाया है।