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मणिपुर में हिंसा, प्रदर्शन जारी

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इम्फाल। राजधानी इम्फाल में कर्फ्यू के बावजूद हिंसा और प्रदर्शन दोनों जारी हैं। मैती छात्र राज्यपाल से अपनी मांग मनवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं तो दूसरी ओर एक हिंसक भीड़ ने जिरीबाम जिले में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आग लगा दी। उपद्रवियों की भीड़ ने बुधवार रात करीब एक बजे एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आग लगा दी। घटना पुलिस चौकी से महज डेढ़ सौ मीटर दूर हुई। हालांकि इसमें किसी के मारे जाने की खबर नहीं है। इस घटना में कुकी समुदाय के लोगों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।

गौरतलब है कि इम्फाल ईस्ट और वेस्ट दोनों जिलों में कर्फ्यू जारी है। इसके अलावा मैती बहुल पांच जिलों में इंटरनेट बंद है। इस बीच राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य असम चले गए हैं। वे असम के राज्यपाल हैं और उनके पास मणिपुर का अतिरिक्त प्रभार है। प्रदर्शन कर रहे छात्र राज्य के पुलिस महानिदेशक और सुरक्षा सलाहकार को हटवाने की मांग लेकर धरने पर बैठे हैं। वे यह भी चाहते हैं कि सेना, सीआरपीएफ और पुलिस की एकीकृत कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को सौंप दी जाए। ध्यान रहे बीरेन सिंह मैती समुदाय से आते हैं और पिछले 16 महीने से मैती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा चल रही है।

तीन जिलों में कर्फ्यू लगाने और पांच जिलों में इंटरनेट बंद करने से पहले इम्फाल में 10 सितंबर को सुरक्षा बलों और छात्रों में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें करीब एक सौ छात्र घायल हुए थे। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने राजभवन पर पथराव किया था और सीआरपीएफ पर हमला किया था। इस तरह का हिंसक प्रदर्शन तीन दिन तक चला। कर्फ्यू के बाद प्रदर्शनकारियों की हिंसा थमी लेकिन इम्फाल के इमा मार्केट में अब भी तौन सौ से ज्यादा छात्र प्रदर्शन पर डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपनी मांग मनवा कर ही जाएंगे। मुख्यमंत्री भी चाहते हैं कि एकीकृत कमान राज्य सरकार को मिले। इसलिए वे छात्रों के प्रदर्शन पर चुप हैं।

दूसरी ओर कुकी छात्र संगठनों ने इस बात से इनकार किया है कि राज्य में हाल में हुई हिंसा में उनका हाथ है। गौरतलब है कि मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारी बुधवार, 11 सितंबर को कुकी बहुल चूराचांदपुर गए थे। उन्होंने छात्र नेताओं के साथ बैठक की। सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने 10 दिन के लिए शांति बनाने की अपील की है ताकि मुद्दों को सुलझाया जा सके। हालांकि कुकी छात्र संगठनों के नेताओं ने इस बात से इनकार किया कि हाल में हुए ड्रोन और रॉकेट हमले में उनका हाथ है। एक छात्र नेता ने कहा कि वे निगरानी के लिए ड्रोन इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, ड्रोन से बम गिराने और रॉकेट से मिसाइलें दागने के आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि वे हमले के लिए  अपने पारंपरिक हथियारों का ही इस्तेमाल करते हैं। बहरहाल, कर्फ्यू और इंटरनेट पर पाबंदी जारी है और केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के दो हजार अतिरिक्त जवान भेजने का फैसला किया है।

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