नई दिल्ली। मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और यौन हिंसा सहित राज्य में पिछले 80 दिन से चल रही हिंसा के मसले पर विपक्षी पार्टियां सोमवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन करेंगी। विपक्ष ने संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सुबह साढ़े 10 बजे महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने का फैसला किया है। इससे पहले सुबह 10 बजे विपक्षी पार्टियों की बैठक होगी, जिसमें संसदीय कार्यवाही को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल पार्टियों के दोनों सदनों के नेता शामिल होंगे।
विपक्षी पार्टियां इस बात पर अड़ी हैं कि प्रधानमंत्री को संसद में बयान देना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि संसद चालू होने के बावजूद प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर मणिपुर पर बयान दिया लेकिन संसद में नहीं बोले। गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिन गुरुवार और शुक्रवार को दोनों सदनों में विपक्षी पार्टियों ने मणिपुर पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया, जिसकी वजह से कार्यवाही नहीं चल सकी।
विपक्ष की मांग है मणिपुर के हालात पर लोकसभा में नियम 193 और राज्यसभा में नियम 267 के तहत बहस हो। हालांकि सरकार नियम 176 के तहत चर्चा कराना चाहती है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से इस मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री जवाब देंगे। इसके लिए विपक्ष तैयार नहीं है। विपक्ष का कहना है कि राज्यसभा में बहस नियम 267 के तहत ही होनी चाहिए। साथ ही विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री इस मसले पर जवाब दें।
इस तरह मणिपुर पर चर्चा के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तैयार हैं, लेकिन बात नियमों पर अटक गई है। अगर 176 के तहत इस पर बहस होती है तो इस पर अल्पकालिक अवधि के लिए करीब ढाई घंटे तक चर्चा होगी। इस नियम के तहत बहस के बाद वोटिंग नहीं होती है और संबंधित मंत्री ही उस पर जवाब देते हैं। वहीं नियम 267 के तहत बहस होने पर सदन का बाकी कामकाज स्थगित हो जाता है और केवल एक ही मुद्दे बहस जारी रहती है। साथ ही बहस के खत्म होने पर अंत मे वोटिंग भी होती है।