नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि केंद्र सरकार विधि आयोग की सिफारिशों की अनदेखी करके समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू करना चाहती है। कांग्रेस का दावा है कि विधि आयोग ने यूसीसी का समर्थन नहीं किया था। कांग्रेस सांसद और संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि 21वें विधि आयोग ने यूसीसी का विरोध किया। इसके बाद 22वें विधि आयोग को रिपोर्ट सौंपने से पहले ही बंद कर दिया गया और उसके बाद 23वें विधि आयोग का गठन नहीं किया गया।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने विधानसभा से यह कानून पास करा लिया है और अब उसे लागू करने के नियमों की भी मंजूरी दे दी है। धामी ने कहा है कि जल्दी ही इस कानून को लागू कर दिया जाएगा। उसके बाद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार द्वारा नियुक्त 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त, 2018 को अपनी रिपोर्ट में भारतीय संस्कृति की विविधता हवाला देते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता की जरुरत नहीं है।
रमेश ने आगे कहा कि 14 जून, 2023 को भारत के 22वें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता की जांच करने के अपने इरादे को अधिसूचित किया। लेकिन 22वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किए बिना ही 31 अगस्त 2024 को समाप्त कर दिया गया। रमेश ने कहा, ‘23वें विधि आयोग की घोषणा तीन सितंबर, 2024 को की गई थी, लेकिन इसकी वास्तविक संरचना की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। मोदी सरकार विधि आयोग जैसे प्रतिष्ठित निकाय के साथ, विशेष रूप से इतने संवेदनशील विषय पर, इतना लापरवाह व्यवहार क्यों कर रही है’?