नई दिल्ली। लोकसभा और देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए लाए गए संविधान संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीस की बैठक शुरू हो गई है। बुधवार को संविधान के 129वें संशोधन के लिए लाए गए बिल पर विचार के लिए जेपीसी की पहली बैठक हुई। पहली बैठक में ही पक्ष और विपक्ष ने अपनी राय जाहिर कर दी। सत्तापक्ष के सांसदों ने दावा किया कि उनके पास बिल पास कराने का बहुमत है तो विपक्ष ने कहा कि यह बिल सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिद का नतीजा है।
बुधवार को हुई मीटिंग में शामिल हुए सांसदों को ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल और उससे पहले इस विषय पर हुए विचार विमर्श से जुड़ी 18 हजार पन्नों की एक रिपोर्ट दी गई। कानून मंत्रालय ने सदस्यों को यह रिपोर्ट दी। कई सदस्य इसे बड़े सूटकेस में ले जाते दिखे। पहली बैठक में कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर प्रेजेंटेशन दी। भाजपा ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह देशहित में है। वहीं, कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया। जेपीसी के गठन के समय तय किया गया कि बजट सत्र के पहले हफ्ते के आखिरी दिन तक समिति अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करेगी।
बहरहाल, बुधवार की बैठक में भाजपा के सांसद और जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा, ‘हम सरकार के बिल की निष्पक्ष और खुले दिमाग से जांच करेंगे। हमारी कोशिश आम सहमति बनाने की होगी। मुझे विश्वास है कि हम देशहित में काम करेंगे और आम सहमति बना लेंगे’। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर फैसला देश के हित में होता है। लगातार चुनाव देश के विकास में बाधा हैं। हम हमेशा चुनाव की तैयारी करते रहते हैं’।
दूसरी ओर बैठक में शामिल कांग्रेस के सांसद सुखदेव भगत ने कहा, ‘यह सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की जिद का नतीजा है। वे बहुमत में हैं इसलिए जेपीसी में बातचीत कम होगी। बहुमत के बल पर अपने विचार देश पर थोपने की कोशिश की जा रही है’। गौरतलब है कि कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर संविधान संशोधन बिल पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद बिल पेश करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई थी। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए पर्ची से दोबारा मतदान हुआ। इस वोटिंग में बिल पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। बाद में विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार बिल पेश करने के लिए सदन की कुल संख्या का साधारण बहुमत यानी 272 सांसद भी नहीं जुटा सकी।