श्रीनगर। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू हुआ और पहले ही दिन जम कर हंगामा हुआ। असल में महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी के विधायक वाहिद पारा ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। इसके विरोध में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया। कुछ विधायक वेल में भी पहुंच गए। गौरतलब है कि पहली बार जम्मू कश्मीर विधानसभा में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर बैठी है।
भाजपा के 29 विधायक हैं और उनके अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ प्रस्ताव के विरोध में हंगामे के बाद स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने कहा कि उन्होंने अभी तक ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- सदन 370 पर कैसे चर्चा करेगा। इसका फैसला कोई एक सदस्य नहीं लेगा। आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो पीडीपी के विधायक पहले हमसे इस पर चर्चा करते।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- भाजपा से अनुच्छेद 370 को बहाल करने की उम्मीद करना मूर्खता है। हमें पता था कि 370 पर एक प्रस्ताव आने वाला है। वास्तविकता यह है कि जम्मू कश्मीर के लोग केंद्र सरकार के पांच अगस्त, 2019 फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं। अगर उन्होंने इसे स्वीकार किया होता, तो आज नतीजे अलग होते। बहरहाल, हंगामे से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ विधायक अब्दुल रहीम राथर को स्पीकर पद के लिए चुन लिया गया है। प्रोटेम स्पीकर मुबारक गुल ने राथर के नाम का प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।