नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने और देपसांग के मैदानी इलाकों और डेमचोक में गश्त शुरू होने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। अब तनाव घटाने की प्रक्रिया शुरू होगी और इसके तहत दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिल कर बैठक करेंगे। हालांकि यह बैठक कब होगी, इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को बताया कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी का यानी डिसइंगेजमेंट का चैप्टर अब खत्म हो गया है। दोनों देशों की सेना एलएसी पर देपसांग और डेमचोक के विवादित क्षेत्र से वापसी का काम पूरा कर चुकी हैं। अब मामला काफी आगे बढ़ चुका है। जयशंकर ने कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पैनी वोंग के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में इस बारे में जानकारी दी।
जयशंकर ने कहा- डिसइंगेजमेंट पूरा होने के बाद अब दोनों देशों का फोकस डी-एस्केलेशन पर होगा। इसके लिए विदेश मंत्रियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की जल्द ही बैठक होगी। जयशंकर ने किसी तारीख का जिक्र नहीं किया। प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा- एक बार जब सैनिकों के सीमा से पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो हमारे पास अन्य चुनौतियां होंगी। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों में दोनों ओर सैनिकों की संख्या कम करना भी शामिल है।
विदेश मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- ब्रिक्स की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग के बीच बातचीत हुई है। इसमें दोनों देशों ने उनके विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच बैठक को लेकर सहमति दी है। उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि दोनों देशों के संबंध हमारे लोगों, वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए जरूरी हैं।