नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच समझौते के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति की बहाली शुरू हो गई है। पहले से निर्धारित मंगलवार, 29 अक्टूबर तक दो चौकियां खाली हो गई हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी का काम पूरा हो गया है और इस महीने के आखिरी दिन यानी 31 अक्टूबर से पहले की तरह दोनों देशों के सैनिकों की गश्त शुरू हो सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी पर दोनों देश बात करते रहेंगे।
गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच समझौता होने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि दोनों देश सैनिकों को पीछे हटाने और अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने पर राजी हो गए हैं। इसके अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन की बैठक में हिस्सा लेने किए रूस के शहर कजान गए, जहां पांच साल के बाद उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के साथ दोपक्षीय वार्ता की। इस वार्ता में भरोसा बहाल करने पर चर्चा हुई थी।
बहरहाल, विदेश सचिव की ओर से समझौते की जानकारी दिए जाने के बाद एक बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि भारत और चीन 28 से 29 अक्टूबर तक एलएसी पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे। उसके बाद सैनिकों की गश्त शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि सैन्य वापसी समझौता देपसांग के मैदानों और डेमचोक के लिए हुआ है। बाकी जगहों पर बातचीत जारी रखने पर दोनों देश सहमत हुए हैं।
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि लद्दाख सीमा पर दो टकराव बिंदुओं पर वापसी पहला कदम है और तनाव कम करना अगला कदम है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास और इच्छाशक्ति का निर्माण करने में समय लगेगा। जयशंकर ने कहा कि सीमा पर स्थिति बहुत परेशान करने वाली रही है और इसका दोनों देशों के बीच संबंधों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यही बात सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी कही थी। उन्होंने कहा था कि भरोसा बहाल करना पहली जरुरत है।
बहरहाल, समझौते को लेकर रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा था कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक बड़े कदम के रूप में, भारत और चीन 28 से 29 अक्टूबर तक एलएसी पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया था- जब दोनों पक्षों के सैनिक पीछे हट जाएंगे और अस्थायी ढांचों को हटा लेंगे, तब एलएसी के कुछ क्षेत्रों में गश्त शुरू हो जाएगी। यह दोनों सेनाओं के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद विवाद का पहला सफल समाधान है।