नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजराइल और फिलस्तीन के संघर्ष को लेकर राज्यसभा में कुछ मसलों पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने गुरुवार को अपने बयान में इजरायल और फिलस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो राज्य बनाने के भारत के दीर्घकालिक समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने इजरायल के साथ साथ एक ‘संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलस्तीनी राज्य’ की स्थापना की अपील की।
एस जयशंकर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान भारत द्वारा गाजा पर संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रस्तावों से कथित रूप से दूर रहने के दावे का जवाब देते हुए कहा कि पिछले साल सात अक्टूबर को इजरायल और हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलस्तीन से जुड़े 13 प्रस्ताव पेश किए गए हैं, जिनमें से भारत ने 10 प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया और तीन प्रस्तावों से परहेज किया यानी वोटिंग से दूरी रखी।
उन्होंने कहा कि भारत ने वहां चल रहे संकट के दौरान फिलस्तीन को महत्वपूर्ण मानवीय सहायता प्रदान की है। संघर्ष शुरू होने के बाद से, केंद्र ने लगभग 70 मीट्रिक टन सहायता भेजी है, जिसमें दो किस्तों में 16.5 मीट्रिक टन दवाइयां और चिकित्सा आपूर्ति शामिल है। इसके अलावा, 2024 में फिलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी को पांच मिलियन डॉलर दिए गए। यह 2023 में दिए गए योगदान के बराबर है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा बातचीत के जरिए और दो राज्य समाधान का समर्थन किया है।