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चुनाव नियमों में बदलाव को चुनौती

Sambhal survey reportImage Source: ANI

नई दिल्ली। चुनाव से जुड़े नियमों में बदलाव को कांग्रेस पार्टी ने चुनौती दी है। सरकार के इस फैसले की आलोचना करने के बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। हालांकि केंद्र सरकार ने यह फैसला चुनाव आयोग की सिफारिश पर ही किया है। असल में केंद्र सरकार ने पिछले दिनों चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स सार्वजनिक करने के नियमों को बदल दिया है।

केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को नियम बदले। इस बदलाव के बाद मतदान केंद्र के सीसीटीवी फुटेज, मतदान की वेबकास्टिंग की फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स आसानी से आम लोगों को नहीं मिल पाएंगे। कहा जा रहा है कि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस के जमाने में वीडियो फुटेज सार्वजनिक किए जाने के बाद उनके गलत इस्तेमाल की संभावना बढ़ गई है। इसलिए नियमों में बदलाव किया गया है। हालांकि बताया जा रहा है कि उम्मीदवारों को सारे इलेक्ट्रोनिक दस्तावेज मिल जाएंगे लेकिन आम लोगों को इसे हासिल करने के लिए कोर्ट जाना होगा।

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कांग्रेस ने नियमों में इस बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस की याचिका पर पार्टी के महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा है, ‘चुनाव आयोग को ऐसे महत्वपूर्ण कानून (चुनाव संचालन नियम, 1961) में एकतरफा संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती’। नियमों में बदलाव के एक दिन बाद 21 दिसंबर को रमेश ने कहा था- चुनाव आयोग पारदर्शिता से इतना डरता क्यों है। आयोग के इस कदम को जल्द ही कानूनी चुनौती दी जाएगी।

असल में केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर बदलाव का फैसला किया है। आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 20 दिसंबर को ‘द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल, 1961’ के नियम 93(2)(ए) में बदलाव किया है। इस नियम में कहा गया है, ‘चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेंगे’। इसे बदल कर ‘चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज ‘नियमानुसार’ पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे’ कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि एआई के इस्तेमाल से मतदान केंद्र के सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ करके फर्जी खबरें फैलाई जा सकती है या गलत धारणा बनवाई जा सकती है। इसी वजह से डिजिटल रिकॉर्ड्स सार्वजनिक करने के नियम बनाए गए हैं। हालांकि इस बदलाव के बाद भी डिजिटल रिकॉर्ड्स उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध रहेंगे। दूसरे लोगों को इसे हासिल करने के लिए कोर्ट जाना होगा।

By NI Desk

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