मुंबई। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ के नेतृत्व से शुरू हुआ विवाद अब इस गठबंधन के बिखरने तक पहुंच गया है। इसे खत्म कर देने की मांग करने और इसके कमजोर होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने के बाद उद्धव ठाकरे की शिव सेना ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले लड़ने का ऐलान किया है। उद्धव की पार्टी के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि उनकी पार्टी मुंबई और नागपुर में महानगरपालिका के चुनाव अकेले लड़ेगी। इतना ही नहीं उन्होंने भाजपा के साथ फिर से तालमेल की संभावना से भी इनकार नहीं किया है।
संजय राउत ने कहा है, ‘हम मुंबई और नागपुर महानगरपालिका अपने दम पर लड़ेंगे। जो भी होगा, हमें खुद देखना होगा। उद्धव ठाकरे ने हमें संकेत दिया है। मैंने अभी अभी हमारे नागपुर शहर अध्यक्ष प्रमोद मनमोड़े से इस बारे में चर्चा की है’। राउत ने कहा, ‘यह फैसला स्थानीय स्तर पर पार्टी मजबूत करने के लिए लिया गया है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिलता। इससे पार्टी की ग्रोथ प्रभावित हो रही है। हमें नगर निगम, जिला परिषद और नगर पंचायत में अपने दम पर लड़ना चाहिए और अपनी पार्टी को मजबूत करना चाहिए’।
शिव सेना नेता संजय राउत ने भाजपा के साथ तालमेल की संभावना से भी इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार की मिसाल देते हुए कहा कि पहले वे भाजपा के साथ थे फिर विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए और अब फिर भाजपा के साथ हैं। उन्होंने बहुत साफ शब्दों में कहा, ‘राजनीति में भविष्य में कुछ भी हो सकता है’। इस बीच उधर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी उद्धव ठाकरे को लेकर कहा है कि वे दुश्मन नहीं हैं। इतना ही नहीं उन्होंने शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य कहा। गौरतलब है कि शरद पवार और अजित पवार की पार्टियों के विलय की चर्चा चल रही है और इस बीच फड़नवीस का यह बयान आया है।
बहरहाल, संजय राउत ने शुक्रवार को कहा था कि ‘इंडिया’ ब्लॉक की तरह महाराष्ट्र चुनाव में भी एमवीए के बीच कोई तालमेल नहीं था। उनके कहने का मतलब था कि जैसे लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ चुनाव लड़ा था वैसे विधानसभा में नहीं लड़ा। उन्होंने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की इस बात का समर्थन किया कि अगर ‘इंडिया’ ब्लॉक के सहयोगियों को लग रहा है कि अब इसका कोई वजूद नहीं है तो इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए’। इससे पहले ममता बनर्जी ने कहा था कि वे विपक्षी गठबंधन की नेता बनना चाहती हैं। इस पर गठबंधन की ज्यादातर पार्टियों ने उनका समर्थन किया।