नई दिल्ली। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई आव्रजन नीति के तहत निकाले गए अवैध प्रवासियों का पहला समूह भारत आ गया है। नई नीति के तहत ट्रंप प्रशासन ने 104 भारतीयों को हाथ में हथकड़ी लगा कर और सेना के जहाज में भर कर जबरदस्ती भारत भेज दिया। अमेरिकी वायु सेना का विमान सी 17 ग्लोबमास्टर इन अवैध प्रवासियों को लेकर दोपहर करीब दो बजे अमृतसर में भारतीय वायु सेना के एयरबेस पर उतरा। इनमें पंजाब के 30 और हरियाणा व गुजरात के 33-33 लोग शामिल थे। इनके कुछ परिवार और आठ से 10 साल के बच्चे भी शामिल थे।
अमृतसर एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों ने बाद में बताया कि अमेरिका से वापस भेजे गए इन अवैध प्रवासियों की जांच की गई। हवाईअड्डे पर आव्रजन और कस्टम से क्लीयरेंस के बाद इन्हें पंजाब पुलिस को सौंप दिया गया। करीब साढ़े तीन घंटे बाद अमेरिकी वायु सेना का विमान वापस लौट गया। इसके बाद पंजाब के लोगों को पुलिस की गाड़ियों से उनके घर भेज दिया गया। हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और चंडीगढ़ के लोगों की वापसी का इंतजाम किया जा रहा था।
इससे पहले कहा जा रहा था कि अमेरिका ने 205 भारतीयों को जबरन वहां से जहाज में भर कर भेजा है। एक सूची भी सामने आई थी, जिसमें 186 भारतीयों के नाम थे। हालांकि अमेरिकी विमान 104 लोगों को लेकर ही अमृतसर पहुंचा है। बताया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन ने अभी 18 हजार लोगों की पहचान की है, जिनको भारत भेजा जाएगा। कहा जा रहा है कि अमेरिका में कुल सात लाख से ज्यादा भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें से 18 हजार को पहले निकाला जाएगा। चिन्हित किए गए 18 हजार लोगों में से 104 लोगों के पहले समूह को लेकर अमेरिकी वायु सेना का विमान भारतीय समय के मुताबिक, चार फरवरी की सुबह तीन बजे अमेरिका के सैन एंटोनियो रवाना हुआ था। यह पहली बार है जब अमेरिका ने अप्रवासियों को भेजने के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल किया।
ट्रंप ने यह कार्रवाई ऐसे समय की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका जाने वाले हैं। प्रधानमंत्री की 13 फरवरी को ट्रंप के साथ वार्ता होने वाली है। बहरहाल, पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने अमृतसर हवाईअड्डे पर जाकर पंजाब के निकाले गए लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनके दोस्त हैं। वे उनका प्रचार भी करने गए थे। वे ट्रंप से मिलकर इसका हल निकालें।