नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े सीबीआई और ईडी मामलों में जमानत के लिए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के दो आदेशों को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने इन मामलों में उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें ‘‘घोटाले’’ में उनकी कथित भूमिका के लिए पहली बार 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
उच्च न्यायालय ने 30 मई को आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय ने तीन जुलाई को आबकारी नीति से जुड़े कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने 30 मई के आदेश में कहा था कि चूंकि कथित घोटाले के वक्त सिसोदिया ‘‘उच्च पद पर आसीन’’ थे तो वह यह नहीं कह सकते कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि उनकी पार्टी अब भी राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में है और 18 विभाग संभाल चुके सिसोदिया का अब भी प्रभाव है और चूंकि ज्यादातर गवाह सरकारी सेवक हैं तो उन्हें प्रभावित किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।अदालत ने कहा था कि आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं कि आबकारी नीति ‘साउथ ग्रुप’ के इशारे पर उन्हें अनुचित लाभ देने के लिए गलत इरादे से बनाई गई थी।
इस तथाकथित ‘साउथ ग्रुप’ में राजनीतिज्ञ, व्यवसायी और अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी एवं भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता भी शामिल हैं।