नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता में कमी आनी शुरू हो गई है। इस बीच वायु प्रदूषण को लेकर शुक्रवार, 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। प्रदूषण रोकने के लिए पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं करने को लेकर कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट यानी सीएक्यूएम को अदालत ने फटकार लगाई। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि प्रदूषण की वजह से इमरजेंसी जैसे हालात हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम से नाराजगी जताते हुए पूछा- पराली जलाने में क्या कोई कमी आई है? आप पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? लगातार बैठकें क्यों नहीं हो रहीं? आपकी कार्रवाई केवल कागज पर है और आप मूकदर्शक हैं। अगर आप यह मैसेज नहीं देते हैं कि कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तो ये प्रावधान केवल कागज पर ही रह जाएंगे।
इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली, एनसीआर के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में कर्मचारी कम होने की वजह से ठीक से काम नहीं हो रहा। कोर्ट ने पांच राज्यों को आदेश दिया था कि वे खाली पड़ी नौकरियों को 30 अप्रैल 2025 तक भरें, ताकि प्रदूषण पर काबू पाया जा सके। मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की बेंच कर रही है। सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने समिति बनाने के बाद 82 कानूनी आदेश और 15 सुझाव जारी किए हैं। उनकी टीम ने 19 हजार जगहों का निरीक्षण किया है और 10 हजार से ज्यादा फैक्टरियों को बंद करने का आदेश दिया है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि सीएक्यूएम तीन साल से अस्तित्व में है, लेकिन इसने केवल 82 निर्देश जारी किए हैं। इतनी कार्रवाई काफी नहीं है। आयोग को और अधिक एक्टिव होने की जरूरत है। आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके निर्देशों से प्रदूषण की समस्या कम हो रही है या नहीं। गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने 2021 में सीएक्यूएम का गठन किया था। इसे दिल्ली, एनसीआर और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि सब कुछ तो हवा में है।