Kumari Selja :- कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा ने मंगलवार को कहा कि हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में अगर सबसे ज्यादा किसी का शोषण और उत्पीड़न हुआ है तो वह अन्नदाता-किसान है। कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों के साथ इस सरकार ने सदा छल किया है, विश्वासघात किया है, और सबसे ज्यादा जुल्म किया है। किसान अपने हक में आवाज उठाता है, तो उसे लाठियों के बल पर दबाया जाता है। सरकार किसान से किया गया अपना एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई है, पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करने वाली सरकार किसानों के हित की रक्षा नहीं कर पा रही है। कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी और बैंक सब आपस में मिले हुए है, किसानों को पांच महीने बाद खरीफ 2023 का बीमा प्रीमियम वापस कर रही है जो कानूनन गलत है अगर कोई किसान प्रीमियम दे चुका है, तो उसे खराब हुई फसल का मुआवजा मिलना ही चाहिये, जो उसका हक है।
इतना ही नहीं सरकार ज्यादातर जिलों में रबी 2022-23 ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों का बीमा क्लेम तक जारी नहीं कर पाई है। किसान खरीफ-2020 का बकाया मुआवजा की मांग आज भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीटी कॉटन बीज कंपनी सरकारी संरक्षण में किसानों को लूटने में लगी हुई है। बाजार में ऐसा बीटी कॉटन बीज बिका जिस पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप बढ़ा। सरकार को नरमा के बीटी बीज में सुधार के लिए प्रयास करना चाहिये, गुणवत्ताविहीन बीज बाजार में उतारने वाली कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होना चाहिये। किसानों को अच्छे बीज, खाद और कीटनाशक दवायें उपलब्ध करवाई जाएं, अगर नकली बीज, खाद और कीटनाशक से किसान को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई या तो कंपनियां करें या सरकार को करनी चाहिये। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बार गुलाबी सुंडी के प्रकोप से नरमा की उपज बहुत कम हुई
है, जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है क्योंकि खरीद एजेंसियां व कॉटन फैक्ट्री मालिक दोनों हाथों से किसानों को लूटने में लगे हुये हैं, सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाते हुए नरमा खरीद के नाम पर मची लूट को बंद करना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार दावा करती है कि वह सच्ची किसान हितेषी है, जबकि एमआई काडा की ओर से विभाग किसानों को पानी की डिगियां की अनुदान राशि दो सालों से जारी नहीं की गई है। पशुपालक किसानों को सहकारी दुग्ध समितियां और प्राइवेट मिल्क प्रोडक्ट कंपनियां दूध के रेट के नाम पर जमकर लूट रही हैं। किसान बागवानी को बढ़ावा देने की बात करती है कि जबकि किन्नू उत्पादक किसान सही रेट न मिलने पर घाटा उठा रहा है। (वार्ता)