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चिराग पासवान ने लैटरल एंट्री का विरोध किया

नई दिल्ली। बिना प्रतियोगिता परीक्षा के सर्वोच्च सेवा में लैटरल एंट्री के जरिए निजी क्षेत्र के पेशेवरों की नियुक्ति का विरोध तेज हो गया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ साथ अब केंद्र सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इसका विरोध किया है। चिराग पासवान ने सोमवार, 19 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी के जरिए होने वाली नौकरियों में लेटरल एंट्री को पूरी तरह गलत बताया और कहा कि वे इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाएंगे।

गौरतलब है कि संघ लोक सेवा आयोग ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी कर केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर लैटरल भर्ती के लिए प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों के आवेदन मांगे थे। नौकरशाही में 45 पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती की विपक्ष आलोचना कर रहा है। परंतु चिराग पासवान एनडीए के पहले नेता हैं, जिन्होंने इस पर सवाल उठाया है।

चिराग पासवान ने कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण जारी रहना चाहिए। गौरतलब है कि लैटरल एंट्री में आरक्षण लागू नहीं होगा। इससे पहले आज कांग्रेस ने लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति का विरोध किया था। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया था। उन्होंने कहा था- बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास करता है। दूसरी ओर जानकार सूत्रों के जरिए केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती का पहले फॉर्मूला केंद्र की कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने बनाया था।

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