बीजिंग। धरती पर बन रहे सबसे बड़े बांध को लेकर चीन ने सफाई दी है। चीन ने भारत और बांग्लादेश की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि इसका नकारात्मक असर किसी देश पर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। इस योजना पर 137 अरब डॉलर यानी करीब 12 लाख करोड़ खर्च करने वाला है। अपनी इस योजना का बचाव करते हुए चीन ने कहा है कि इस परियोजना से अन्य देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इस विशाल परियोजना पर आशंकाओं को खारिज किया। असल में यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से बेहद नाजुक हिमालयी क्षेत्र में बनाई जा रही है, जो टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इसे लेकर भारत और बांग्लादेश ने चिंता जताई है। इन चिंताओं का जवाब देते हुए चीन ने कहा कि उसने दशकों तक गहन अध्ययन किया है और सुरक्षा उपाय किए हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बांध से जुड़ी चिंताओं के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि चीन हमेशा से सीमा पार गुजरने वाली नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में जलविद्युत विकास का दशकों से गहन अध्ययन किया जा रहा है और परियोजना की सुरक्षा तथा पारिस्थितिकी व पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा उपाय किए गए हैं।
भारत और बांग्लादेश की चिंताओं का जिक्र करते हुए माओ निंग ने कहा- ‘इस परियोजना से निचले इलाकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा- चीन मौजूदा चैनलों के माध्यम से निचले इलाकों के देशों के साथ संपर्क बनाए रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लाभ के लिए आपदा निवारण और राहत पर सहयोग बढ़ाएगा। चीन ने बुधवार को भारतीय सीमा के निकट तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दे दी, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना बताया जा रहा है।
ब्रह्मपुत्र पर बांध के निर्माण की योजना को लेकर भारत में चिंता पैदा हो गई हैं क्योंकि बांध के आकार और पैमाने के कारण चीन जल प्रवाह को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाएगा। इतना ही नहीं दोनों देशों में तनाव के समय सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ लाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने में भी चीन सक्षम हो सकता है। बहरहाल, भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र पर एक बांध बना रहा है।