लखनऊ। बसपा की अध्यक्ष मायावती ने ऐलान किया है कि निकट भविष्य में राज्य की 10 रिक्त विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में उनकी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी और पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी। मायावती ने लखनऊ में प्रदेश कार्यालय में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की एक समीक्षा बैठक में उपचुनाव लड़ने की घोषणा की। अमूमन उपचुनावों से दूर रहने वाली बसपा ने इस उपचुनाव को पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है। बसपा मुख्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक, मायावती ने कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में रिक्त हुई 10 विधानसभा सीटों पर प्रस्तावित उपचुनावों के लिए अभी चुनाव की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इसे लेकर सरगर्मी लगातार बढ़ रही है।”
मायावती ने कहा कि खासकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सरकार द्वारा इसे (उपचुनाव को) प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेने के कारण इन उपचुनावों में लोगों की रुचि काफी बढ़ी है, लिहाज़ा बसपा ने भी इन उपचुनावों में सभी (10) सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने और पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
बसपा प्रमुख ने इस बयान की प्रति अपने आधिकारिक ‘एक्स’ खाते पर भी साझा की। उन्होंने आग्रह किया कि चूंकि, बसपा गरीबों, वंचितों और पीड़ितों की पार्टी है तथा दूसरे दलों की तरह यह बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों के सहारे और इशारे पर नहीं चलती है, इसलिए इसके समर्थक पूरे तन-मन-धन से सहयोग कर पार्टी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाएं।
राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कुल 403 सीटों में से सिर्फ एक सीट जीतने और लोकसभा चुनाव में पूरी तरह सफाया होने के बाद बसपा की उम्मीदें उपचुनावों पर टिकी हैं। आरक्षण को लेकर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी लेयर’ संबंधी मामलों के बीच बसपा प्रमुख अब पूरे तेवर में दिख रही हैं।
उत्तर प्रदेश के नौ विधायकों ने लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया जबकि इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में सजा सुनाये जाने के बाद उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वह कानपुर के सीसामऊ से समाजवादी पार्टी के विधायक थे। इस तरह प्रदेश में विधानसभा की कुल 10 सीटें रिक्त हुई।