नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार को बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में की गई कठोर टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया है। गुजरात सरकार ने बिलकिस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की याचिका दायर की थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया है। पुनर्विचार याचिका में गुजरात सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणियों को हटाने की मांग की गई थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के समय बिलकिस बानो बलात्कार मामले में आठ जनवरी को 11 दोषियों को वापस जेल भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार द्वारा इन दोषियों को समय से पहले रिहा करने के आदेश को रद्द कर दिया था। साथ ही अपने आदेश में गुजरात सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां भी की थीं। इन टिप्पणियों के हटाने के लिए गुजरात सरकार अदालत में गई थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की कुछ टिप्पणियों को अनुचित बताया था। लेकिन अदालत ने बिलकिस मामले में दोषियों की रिहाई से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया।
गुजरात सरकार ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कठोर टिप्पणी करते हुए ये कह दिया था कि गुजरात ने ‘मिलीभगत से काम किया और दोषियों के साथ साठगांठ की’। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी न केवल अनुचित है और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है, बल्कि याचिकाकर्ता, गुजरात सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित है। गौरतलब है कि गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले अगस्त 2022 में बिलकिस बानो मामले के सभी दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। बिलकिस बानो ने दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के बाद सभी दोषियों को फिर से जेल भेजने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आठ जनवरी के अपने आदेश में कई कठोर टिप्पणियां की थीं। उनको हटवाने के लिए गुजरात सरकार ने याचिका दी थी। उस याचिका पर सुनवाई करने के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइंया की बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार ने जो मुद्दे उठाए हैं उनके संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कोई गलती नहीं है। इसलिए पुनर्याचिका खारिज की जाती है।