नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। वे पहले से कई मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं। अब उनके छह, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले में रेनोवेशन की बी जांच होगी। केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी ने इस मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सीवीसी ने गुरुवार, 13 फरवरी को जांच के आदेश जारी किए। इससे पहले सीबीआई ने भी इस बंगले के रेनोवेशन पर हुए करोड़ों रुपए के खर्च की प्रारंभिक जांच की थी।
बहरहाल, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट यानी सीपीडब्लुडी की एक रिपोर्ट सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए। रिपोर्ट में कहा गया कि 40 हजार वर्ग गज यानी करीब आठ एकड़ में बने बंगले के निर्माण में कई नियमों को तोड़ा गया। सीवीसी की जांच से केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके ऊपर पहले से शराब नीति में हुए घोटाले की जांच की तलवार लटक रही है। इस मामले में वे पांच महीने से ज्यादा समय तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहे थे।
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि बंगले के रेनोवेशन पर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। भाजपा ने बंगले को ‘केजरीवाल का शीशमहल’ नाम दिया है। केजरीवाल यहां 2015 से 2024 तक रहे। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना से शिकायत की थी कि केजरीवाल का बंगला चार सरकारी संपत्तियों को गलत तरीके से मिलाकर बनाया गया है। हालांकि आम आदमी पार्टी का कहना था कि यह केजरीवाल का नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री का बंगला है और जो भी मुख्यमंत्री होगा वह इस बंगले में रहेगा। लेकिन भाजपा ने कह दिया है कि उसका मुख्यमंत्री इस बंगले में नहीं रहेगा।
गौरतलब है कि मई 2023 में पहली बार ‘शीशमहल’ का मामला सामने आया था। उस समय दिल्ली के उप राज्यपाल वी के सक्सेना ने सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद को चिट्ठी लिख कर मुख्यमंत्री आवास में हुए रेनोवेशन के मामले की जांच करने को कहा था। एलजी के कहने पर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच की थी। सितंबर 2023 में ने इस मामले में सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की। इसमें कहा गया था कि दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोविड काल के दौरान मुख्यमंत्री आवास पर करीब 45 करोड़ रुपए खर्च किए। यह पैसा सरकारी खजाने से लिया गया।