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जीवन से ये हताशा क्यों?

आम तौर पर समझा यही जाता है कि धनी देशों में लोग सुख और आराम से रहते हैं। लेकिन हाल में हुए दो सर्वेक्षणों ने यह धारणा तोड़ी है। इनके मुताबिक अमेरिका और जापान के नौजवानों में आत्मघाती प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। 

अजीब खबर इसलिए अजीब महसूस होती है, क्योंकि इसका संबंध दुनिया के सबसे धनी देशों से है। आम तौर पर समझा यही जाता है कि उन देशों में लोग सुख और आराम से रहते हैं। लेकिन हाल में हुए दो सर्वेक्षणों ने यह धारणा तोड़ी है। पहले ये खबर आई कि अमेरिक में कम उम्र लड़कियों में आत्म-हत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अपने एक सर्वे के आधार पर दी। अब ऐसी ही खबर जापान से आई है। वहां गैर सरकारी संस्था निप्पॉन फाउंडेशन की तरफ से कराए गए इस सर्वे के मुताबिक जापान के लगभग आधे युवाओं में आत्मघाती सोच है। सीडीसी के मुताबिक 2021 में अमेरिका में उन किशोर उम्र लड़कियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ, जिन्होंने या तो खुदकुशी करने के बारे में सोचा या सचमुच इसका प्रयास किया। 2021 में कोरोना महामारी का काफी असर था, जिसका नौजवानों की दिमागी सेहत पर बहुत खराब प्रभाव पड़ा।

लेकिन साथ ही इस तरफ भी ध्यान खींचा गया है कि महामारी के पहले भी आत्म-हत्या के बारे में सोचने या उसका प्रयास करने वाली लड़कियों की संख्या काफी ऊंची थी। सीडीसी के यूथ रिस्क बिवेवियर सर्वे के तहत पाया गया कि नौवीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली 30 प्रतिशत छात्राओं ने 2021 में आत्म-हत्या करने के बारे में गंभीरता सोचा। 2019 में हुए इसी सर्वे में यह आंकड़ा 24.1 प्रतिशत था। जापान में किए गए सर्वे में 14,819 नौजवानों के वैध उत्तर मिले। उनके बीच आत्मघाती सोच से शिकार 56.6 प्रतिशत युवाओं ने कहा कि वे इस बारे में किसी से बात नहीं करते। जाहिर है, संवादहीनता एक बड़ी समस्या बनी हुई है। सर्वे में शामिल हुए 44.8 प्रतिशत नौजवानों ने कहा कि उन्होंने कभी ना कभी आत्महत्या करने के बारे में जरूर सोचा है। इसका कारण अपने संबंधों में परेशानी, आसपास के किसी व्यक्ति का डर और रोजगार या शिक्षा संबंधी भविष्य को लेकर चिंता रहे हैं। जाहिर है, यह चिंताजनक स्थिति है। इन कारणों के निवारण पर धनी समाजों को अवश्य विचार करना चाहिए।

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By NI Editorial

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