राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

भड़की भावनाओं का टकराव

विवेकशील लोगों के लिए विचारणीय प्रश्न यह है कि इससे देश आखिर कहां जाएगा? विकास और दुनिया की होड़ में उतरने की बात तो दूर समाज जिस स्तर पर रहा है, ऐसे माहौल में क्या उसे भी बरकरार रखना संभव होगा?

जब किसी देश या समाज में ‘भावनाएं’ राजनीति और संस्कृति के केंद्र में आ जाती हैं, तो उसका क्या नतीजा होता है, इसकी एक ताजा मिसाल झारखंड में देखने को मिल रही है। वहां गिरीडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी के आसपास के इलाके को सरकार ने पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई। इससे जैन समुदाय की भावनाएं ‘आहत’ हो गईं, क्योंकि उस पर्वत पर उनका एक प्रसिद्ध मंदिर है। जैन समाज के लोगों का कहना था कि पर्यटक आएंगे, तो मौज-मस्ती करेंगे और उससे उस स्थल की पवित्रता भंग होगी। जैन समुदाय के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने उस फैसले को पलट दिया। तो अब झारखंड के आदिवासी समुदायों- खास कर संताल समाज- की भावनाएं भड़क उठी हैं। आदिवासी समुदाय के मुताबिक जिस पर्वत को अब पारसनाथ के नाम से जाना जाता है, ऐतिहासिक रूप से वह उनका ‘मारंग बुरु’ है, जिसकी वे आराधना करते रहे हैँ। तो अब आदिवासी संगठनों ने ‘मारंग बुरु को जैन समुदाय के कब्जे से मुक्त कराने’ के लिए आंदोलन छेड़ दिया है। इस हफ्ते उनकी बैठकें हुई हैं, 30 जनवरी को आदिवासी समुदाय के लोग उपवास रखेंगे और 12 फरवरी को झारखंड बंद का आयोजन किया जाएगा।

इस बीच कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि जिस क्षेत्र का विकास कभी सरकारों की प्राथमिकता नहीं रहा, अगर उसे पर्यटन स्थल बनने दिया जाता, तो उस क्षेत्र के लोगों की आमदनी बढ़ती। एक धर्म विशेष से जुड़े लोंगों ने अपने प्रभाव के कारण ऐसा नहीं होने दिया। इससे उस इलाके के लोगों की उम्मीदें टूटी हैँ। मुमकिन है कि आदिवासी संगठनों में भड़की नाराजगी के पीछे यह सोच भी हो। बहरहाल, असल मुद्दा देश में बने माहौल का है। चूंकि हाल के वर्षों में प्रमुख निर्णायक तत्व धार्मिक या सामाजिक भावनाएं बनती चली गई हैं, तो उसके बीच जो समुदाय जहां ताकतवर है, वहां अपनी भड़की भावनाओं को लेकर सड़कों पर उतर आता है। अब देश के विवेकशील लोगों के लिए विचारणीय प्रश्न यह है कि इससे देश आखिर कहां जाएगा? विकास और दुनिया की होड़ में उतरने की बात तो दूर समाज जिस स्तर पर रहा है, ऐसे माहौल में क्या उसे भी बरकरार रखना संभव होगा?

Tags :

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *