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रूसियों में पहली बार, अब जंग का खौफ!

रूसियों को पहली बार, अब अहसास हो रहा होगा कि वे एक जंग के अधबीच हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के डेढ़ साल बाद, मंगलवार को पहली बार मास्को पर ड्रोन हमला हुआ।फिर दूसरी जगह, बुधवार को एक रिफाइनरी पर ड्रोन हमले की खबर। स्वभाविक जो रुसियों में अब भय और चिंता है। गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट मास्को के एक रहवासी के हवाले से कहती है, “दनादन विस्फोटों की आवाजें सुनायी पड़ रही थीं। ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ था।”

अब तक रूस और विशेषकर मास्को के रहवासियों को लग ही नहीं रहा था कि उनका देश एक लम्बी और कठिन जंग में फंसा हुआ है। हाँ, यूक्रेन में नागरिक मारे जा रहे थे और वहां के शहरों में इमारतें भरभरा कर गिर रहीं थीं। कीव से आ रही ख़बरों से पता चलता है कि अब तब कम से कम 20,000 यूक्रेनी नागरिक मारे जा चुके हैं और देश के 30 फीसद इलाके में बारूदी सुरंगें बिछ चुकी हैं। करीब पंद्रह महीनों से जारी इस लड़ाई में यूक्रेन ने मौतें और बर्बादी दोनों खूब देखीं हैं।

मास्को तक हमलावर ड्रोन पहुँच जाने से व्लादिमीर पुतिन गुस्से से उबल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यूक्रेन रूसी नागरिकों को डराने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “यूक्रेन ने रहवासी इमारतों पर हमला करके यह साफ़ कर दिया है कि वह रूस और रूसियों को धमकाना और डराना चाहता है।” उन्होंने ड्रोन हमले को “साफ़ तौर पर आतंकी कार्यवाही” भी बताया। यह तब जब कि इस हमले में कोई मारा नहीं गया। कुछ अपार्टमेंटों की खिड़की के कांच टूटे और कुछ लोगों को मामूली चोटें आईं। उसी दिन रूस ने 24 घंटे के भीतर यूक्रेन पर तीसरा हवाई हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति मारा गया और चार घायल हुए।

यूक्रेन ने इस हमले में सीधे उसका हाथ होने से इंकार किया परन्तु राष्ट्रपति बोलोडिमिर जेलेंस्की के सलाहकार मखाय्लो पोदालियाक ने यह भी कहा कि वे इससे खुश हैं। यूक्रेन के मित्र देश तटस्थता की चादर ओढ़े हुए हैं। अमेरिका ने कहा कि वह “सामान्य तौर पर” रूस के भीतर हमलों का समर्थन नहीं करते परन्तु एक आधिकारिक वक्तव्य में इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया गया कि अकेले इस महीने (मई 2023) रूस 17 बार कीव पर हवा के रास्ते हमले कर चुका है। इंग्लैंड ने ड्रोन हमले पर कोई आपत्ति व्यक्त नहीं की। देश के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवेर्ली ने कहा कि यूक्रेन को रूसी हमलों के जवाब में “अपनी सीमा के बाहर हमले करने का हक है”।इंग्लैंड ने यह भी कहा कि “पूरी दुनिया यह स्वीकार करती है कि किसी भी देश को आत्मरक्षा के लिए अपनी सीमा से बाहर सैन्य ठिकानों पर हमला करने का अधिकार है।”

पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तब उसे लग रहा था कि वह आसानी से यूक्रेन पर कब्ज़ा कर लेगा। परन्तु यूक्रेन की सेना, रूस को एक-एक इंच भूमि के लिए लड़ने पर मजबूर कर रही है। यूक्रेन में रूसी टैंकों की आमद को एक साल से भी ज्यादा गुज़र चुका है। इसके बाद भी रूस की राजधानी पर हमले से यह साफ़ है कि रूस उतना सुरक्षित नहीं है जितना वह मानता है और यूक्रेन उसे “घर में घुसकर मारने” में सक्षम है। पिछले कुछ समय से यूक्रेन रूस के फौजी ठिकानों और तेल रिफाइनरियों पर ड्रोन हमले करते रहा है। इसी महीने, क्रेमलिन के ठीक ऊपर एक ड्रोन विस्फोट हुआ था। अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि यह हमला संभवतः यूक्रेन की सेना की स्पेशल या इंटेलिजेंस यूनिट ने किया होगा। अभी पिछले हफ्ते दक्षिणी रूस में क्रेमलिन-विरोधी लड़ाकों ने सीमापार से हमला किया। यह लड़ाई दो दिन चली। इससे रूस की परेशानी बढ़ सकती है। इसी तरह का हमला मंगलवार को भी हुआ।

इस सब का हम क्या मतलब लगाएं? पहली बात तो यह है कि अब हमले दोनों तरफ से हो रहे हैं और युद्ध यूक्रेन के साथ-साथ रूस के अन्दर भी पहुँच गया है। दूसरे, मास्को के रहवासी इलाके पर हमले का रूस के नागरिकों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा। लोगों का एक तबका पहले से ही पुतिन के नेतृत्व और यूक्रेन के साथ युद्ध के खिलाफ रहा है। अब लोगों को लगेगा कि युद्ध उनके दरवाज़े तक आ पहुंचा है। इससे उनमें बेचैनी और गुस्सा बढेगा। रूसियों को बताया गया था कि उनका देश एक ‘विशेष सैन्य कार्यवाही’ करने जा रहा है। उन्हें नहीं पता था कि ‘कार्यवाही’ की जगह युद्ध शुरू हो जायेगा। जाहिर है कि पुतिन को जनता की और नाराज़गी झेलने के लिए तैयार रहना होगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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