राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

नई दुनिया की हकीकत

जी-20 उस दौर में बना था, जब अमेरिका दुनिया में एकमात्र ध्रुव था और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को अपने हितों के मुताबिक संचालित करने में वह सक्षम था। अब बात बदल चुकी है।

नई दिल्ली में गुजरे हफ्ते हुई कूटनीतिक घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि गुजरे दौर में बने मंच अप्रासंगिक हो रहे हैं। जबकि नए दौर में बने मंचों का प्रभाव बढ़ रहा है। सिर्फ विदेश मंत्रियों की जी-20 और क्वाड की बैठकों पर गौर करें, तो यह जाहिर हो जाता है। जी-20 के मंच पर कोई सार्थक बातचीत नहीं हो पाई। उलटे यह पश्चिमी देशों और रूस-चीन के लिए एक दूसरे को खरी-खोटी सुनाने का मौका बन कर रह गया। जबकि क्वाड्रैंगुलर सिक्युरिटी डायलॉग (क्वाड) के विदेश मंत्रियों की बैठक में विचारों और मकसद की समानता नजर आई और यह बात उनकी तरफ से जारी साझा बयान में भी झलकी। इस अंतर का कारण यह है कि जी-20 उस दौर में बना था, जब अमेरिका दुनिया में एकमात्र ध्रुव था और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को अपने हितों के मुताबिक संचालित करने में वह सक्षम था। जी-20 अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मिल-जुल कर चलाने लिए बनाया गया था। इस अर्थव्यवस्था का स्वरूप पश्चिम प्रेरित भूमंडलीकरण था।

वह दौर अब गुजर चुका है। आर्थिक से लेकर कूटनीतिक गुटबंदी तक में अब दुनिया दो भागों में बंट रही है। क्वाड इस बंटती दुनिया में बना मंच है, जिसकी रणनीतिक दिशा स्पष्ट है। यही बात ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे समूहों पर भी लागू होती है। भारत की मुश्किल यह है कि वह इन दोनों ध्रुवों पर अपनी प्रभावशाली भूमिका चाहता है। चूंकि दोनों गुट भारत की अहमियत को समझते हैं, इसलिए अब तक भारत की यह रणनीति कारगर रही है। लेकिन यह भूमिका खरहे के साथ दौड़ने और शिकारी कुत्ते के साथ मिल कर शिकार करने जैसी है, जिसकी एक सीमा होती है। जी-20 की मेजबानी करते हुए भारतीय अधिकारियों को जरूर इस बात का अहसास हुआ होगा। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अपील का कोई असर नहीं हुआ कि मौजूद देश असहमति को भूल कर सहमति के बिंदुओं पर आगे बढ़ें। बल्कि इस दौरान उनकी इस बात की पुष्टि ही हुई कि विश्व संचालन की पुरानी संस्थाएं नाकाम हो गई हैँ। तो अब यह भारत को तय करना है कि वह दीर्घकालिक लिहाज से किन नई उभर रहीं मंचों के साथ जुड़ेगा।

Tags :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *