राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

आर्थिक तर्क के अनुरूप

छोटी अर्थव्यवस्था वाले देशों में आम प्रवृत्ति अपने पास-पड़ोस के बड़े देश से आर्थिक संबंध मजबूत करने की रहती है। यह सामान्य आर्थिक सिद्धांत इस वर्ष एशिया में व्यवहार में आता नजर आया। इसका फायदा चीन को मिला।

एक अमेरिकी अखबार के विश्लेषण के मुताबिक बीते साल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने की अमेरिकी रणनीति एशिया में कामयाब नहीं हुई। अमेरिका ने अपने सहयोगी एशियाई देशों से चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता घटाने को कहा था। लेकिन असल में गुजरे वर्ष ज्यादातर एशियाई देशों के चीन के साथ आर्थिक संबंध और मजबूत हो गए। अब अमेरिकी अर्थशास्त्री इस पर विचार कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हुआ। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल से अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि छोटी अर्थव्यवस्था वाले देशों में आम प्रवृत्ति अपने पास-पड़ोस के बड़े देश से आर्थिक संबंध मजबूत करने की रहती है। यह सामान्य आर्थिक सिद्धांत इस वर्ष एशिया में व्यवहार में आता नजर आया। नतीजतन, चीन एशियाई देशों के लिए अपेक्षाकृत सस्ती दर पर मशीनरी, कार आदि जैसे उत्पादों का प्रमुख सप्लायर बना रहा। इससे एशियाई देशों के साथ व्यापार बढ़ने की चीन की नई रणनीति कामयाब होती नजर आई। पश्चिमी देशों से संबंध तनावपूर्ण होने के कारण चीन ने ये रणनीति अपनाई है, जिसके तहत वह आसपास के देशों से कारोबार बढ़ाने पर खास जोर डाल रहा है।

उधर अमेरिका की अपनी नीतियां उसे उलट दिशा में ले गई हैँ। उसने घरेलू राजनीति की प्रतिस्पर्धा के कारण मुक्त व्यापार समझौतों से अपने को अलग किया। अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि जब तक अमेरिका मुक्त व्यापार समझौतों के प्रति अपनी नीति बदल कर एशियाई देशों की पहुंच अपने विशाल उत्पादन और उपभोक्ता बाजार तक नहीं बनाने देगा, चीन के प्रभाव को कम करने की उसकी रणनीति कामयाब नहीं होगी। स्थिति यह है कि दुनिया में बनते नए हालात के कारण कई देशों ने खुद को मैनुफैक्चरिंग केंद्र बनाने की पहल की है। लेकिन इससे चीन के कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। इन देशों ने जिन चीजों के उत्पादन के कारखाने लगे हैं, उनके लिए भी पाट-पुर्जे अक्सर चीन से मंगवाए गए हैं। इसकी मिसाल भारत भी है, जो स्मार्टफोन उत्पादन के एक बड़े केंद्र के रूप में उभर रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि यहां बनने वाले स्मार्टफोन में भी चीन से आने वाले पुर्जों और बेसिक मैटेरियल्स का इस्तेमाल हो रहा है।

Tags :

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *