राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

जब निशाने पर गुब्बारे हों!

अब खबर है की चीन भी अपने आसमान में उड़ती ऐसी चीजों को गिराने की तैयारी में है। वैसे ये बातें सुनने में मनोरंजक लगती हैं, लेकिन ये जिस बनती स्थिति का संकेत हैं- वह मनोरंजक नहीं है।

यह तो साफ है कि अमेरिकी वायु क्षेत्र में चीनी गुब्बारे के प्रवेश ने दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ा दिया है। अब स्थिति यह है कि अमेरिका हर उड़ती अनजान चीज को मार गिराया जा रहा है। जबकि खुद अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि बहुत सी कंपनियां, रिसर्च संस्थान और देश विभिन्न प्रकार के अध्ययनों के लिए विभिन्न प्रकार के यान आसमान में उड़ाते हैँ। लेकिन मौजूदा तनावपूर्ण माहौल में यानों के बीच फर्क करने का विवेक छोड़ दिया गया है। अब खबर है की चीन भी अपने आसमान में उड़ती ऐसी चीजों को गिराने की तैयारी में है। वैसे ये बातें सुनने में मनोरंजक लगती हैं, लेकिन ये जिस बनती स्थिति का संकेत हैं- वह मनोरंजक नहीं है। बल्कि वह इस खतरे की घंटी है कि कभी भी कोई बात इतनी सुलग सकती है, जो युद्ध तक पहुंच जाए। जब भारत के आसपास के क्षेत्र में ऐसे हालात बनने के संकेत हों, तो जाहिर है, भारत को भी सतर्क हो जाना चाहिए। यह चौकसी सैन्य क्षेत्र में होनी चाहिए। ऐप्स बंद कर चीन के खिलाफ सख्ती का संदेश देना सुर्खियां बनाने के लिहाज से उपयोगी हो सकता है, लेकिन यह सीमा पर तैयारियों का विकल्प नहीं हो सकता है।

गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 200 से अधिक चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। खबरों के अनुसार सरकार ने देश की सुरक्षा के मद्देनजर ऐप्स के खिलाफ ये सख्ती दिखाई है। हालांकि यह भी कहा गया है कि इन ऐप्स का इस्तेमाल आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को टारगेट करने के लिए किया जाता था। लेकिन इस कदम को आम तौर पर ऐप बैन के 2020 से चल रहे सिलसिले के रूप में ही देखा गया है। केंद्र ने 2022 में देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने 54 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। बहरहाल, अब जरूरत इस बात की है कि सैन्य चौकसी पर ध्यान केंद्रित किया जाए। यह याद रखना चाहिए कि अगर इस क्षेत्र में हालात बिगड़ते हैं, तो भारत उसके प्रभाव से बचा नहीं रह पाएगा।

Tags :

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *