श्रीनगर से श्रुति व्यास: श्रीनगर में आज की मीटिंग शुरू हुई। जम्मू-कश्मीर और श्रीनगर में आज जी-20 देशों की टूरिज्म वर्किंग ग्रुपकी वैश्विक बैठक शुरू हुई। कश्मीर में इस तरह की बैठक पहले कभी नहीं हुई। डल लेक के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में 22 मई से 24 मई की तीन दिनों की बैठक में चीन सहित 5 देश हिस्सा नहीं ले रहे हैं। चीन के अलावा सऊदी अरब, तुर्किये, इंडोनेशिया और मिस्र इस बैठक में शामिल नही हुए। बहरहाल, सोमवार की सुबह श्रीनगर पहुंचे अन्य विदेशी प्रतिनिधियों का हवाईअड्डे पर पारंपरिक वेशभूषा में कश्मीरी युवतियों ने स्वागत किया।
जी-20 की बैठक में दक्षिण भारत के सुपर सितारे रामचरण तेजा भी पहुंचे हैं। उन्होंने कहा- कश्मीर में कुछ जादू है। उन्होंने विदेशी प्रतिनिधियों के साथ अपनी फिल्म ‘आरआरआर’ के ऑस्कर जीतने वाले गाने ‘नाटू-नाटू’ पर डांस किया। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन शृंगला ने कहा- इस मीटिंग में शामिल होने वाले प्रतिनिधि यहां आकर देख सकेंगे कि धरती पर स्वर्ग कैसा होता है। टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की यह मीटिंग 22 से 24 मई तक होगी।
बैठक के लिए एयरपोर्ट से ले कर डल झील तक का इलाका रंगबिरंगी रोशनियों, वेलकम पोस्टरों, जी-20 की हार्डिग्स और चमचमाती सडको से सजा-धजा है। जी-20 बैठक के लिए श्रीनगर के कायाकल्प और सुरक्षा बंदोबस्तों से यह साफ जाहिर है कि जी-20 की अध्यक्षता और उसके आयोजनों की मेजबानी का मौका भारत के लिए कश्मीर के संदर्भ में कितनी अहमियत रखता है।
डल लेक के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में जी-20के डेलिगेटेस का एजेंड़ा टूरिज्म है। जी-20 की श्रीनगर में बैठक से विश्व कूटनीति का अपने आप कश्मीर पर फोकस बना है।राजधानी और प्रदेश दोनों इस आयोजन के पीछे कश्मीर की अकल्पनीय सुन्दरता के किस्से देश और दुनिया भर में फैलाने का लक्ष्य बनाए हुए है तो इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है दुनिया को यह संदेश देना कि कश्मीर में सब कुछ ठीक-ठाक है– आल इज वेल।
क्या कोई सोच भी सकता था कि इस तरह का आयोजन श्रीनगर में हो सकता है? दस साल पहले यह लगभग असंभव लगता था और बीस साल पहले पूरी तरह असंभव। परन्तु नीले गगन के तले शालीमार बाग के आकर्षण में बंधे विदेशी डेलिगेट्स के द्वारा खींचे जा रहे फोटो तो यही बता रहे हैं कि जो नामुमकिन था वह मुमकिन हो गया है।
सही है कश्मीर को वह जगह माना जाता रहा है जहाँ फौज की स्थाई मौजूदगी और टकराव और विवाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। परंतु श्रीनगर में अब ऐसा संभव होता लग रहा है कि लोग अतीत को पीछे छोड़कर पर्यटन के बूते ही बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे है। सभी जानते है कि कश्मीर घाटी की खूबसुरती हर पर्यटक को‘यहाँ ज़रूर जाना है’ की लिस्ट से खींचती होती है। पिछले कुछ सालों में पर्यटन में जबरदस्त बढोत्तरी हुई है। एक समय था जब श्रीनगर की उड़ानों में कश्मीरियों की बहुतायत रहती थी। अब ऐसा नहीं है। महाराष्ट्र, बंगाल, गुजरात और आंध्रप्रदेश से पर्यटकों के हुजूम श्रीनगर पहुँच रहे हैं। श्रीनगर में दक्षिण और उत्तर भारतीय रेस्टोरेंट खुल गए हैं। यहाँ तक कि पुराने, पारंपरिक रेस्टोरेंटों का कलेवर समय के साथ कदमताल करने के लिए बदल दिया गया है।
एक समय हिंदी फिल्म उद्योग का पसंदीदा कश्मीर था और ऐसा वापिस होता दिखता हौ। कश्मीर फिर बॉलीवुड की पहली पसंद बन रहा है। ऐसा बताया जाता है कि पिछले एक साल में जम्मू-कश्मीर में 200 से ज्यादा फिल्में, वेब सीरीज और टीवी सीरियल शूट किये गए। हाल में शाहरूख खान की एक फिल्म की शूटिंग भी हुई। श्रीनगर में जी20 बैठक में घाटी में फिल्म टूरिज्म चर्चा का एक मुख्य विषय रहेगा। आयोजन में बड़े निर्माताओं और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।
मूल मुद्दा यह है कि कश्मीर स्पॉटलाइट में है और यह स्पॉटलाइट उसके आकर्षण और अथाह सौंदर्य को दुनिया को दिखा रही है। और साथ में दिखा रही है ‘नए कश्मीर’ का नयापन, जो कश्मीर के लोगों और कश्मीर को भी अविश्वसनीय और अवास्तविक सा लगता है।
जम्मू-कश्मीर की राजधानी सजी हुई है।मगर सुरक्षा प्रबंध भी बहुत कड़े हैं। एक अनाम सा डर हवा में है। आतंकी हमलों की आशंका और तरह-तरह की अफवाहों के बीच भी यह शहर और उसे चलाने वाले जी-20 सम्मलेन का आयोजन करने पर डटे रहे है।लोगों को सुरक्षा बंदोबस्तों के कारण“सब चंगा सी” की बाते सही नहीं लग रही है। मगर यह भी तो सही है कि जो भी शहर किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करता है वह दुर्ग बन जाता है। वहां के रहवासियों को परेशानी होती ही है। हाल में जी-7 शिखर बैठक के लिए जापान को हिरोशिमा को सख्त सुरक्षाबंदी से किले में बदल दिया था। दिल्ली में भी आगे जी-20 के शिखर सम्मेलन के लिए तगड़े सुरक्षा प्रबंध होने है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2019 के बाद से कश्मीर में बदलाव आये हैं, विशेषकर 2020 में मनोज सिन्हा के आने के बाद से। हमेशा से पिक्चर पोस्टकार्ड की तरह दिखने वाला कश्मीर अब और साफ़, और विकिसत और सुन्दर लगता है। मनोज सिन्हा राजनीतिज्ञ तो हैं हीं, उन्होंने श्रीनगर का कायाकल्प कर सिद्ध किया है कि वे एक अच्छे प्रशासक भी है और कठिन काम को मुमकिन बनाना उन्हें आता है। वे अपनी टीम को खुद निर्णय लेने की स्वतंत्रता देते हैं परन्तु उसकी जवाबदेही भी सुनिश्चित करते हैं। स्थानीय पत्रकार, पुलिस अधिकारी और नागरिक मानते हैं कि जी20 जैसा आयोजन श्रीनगर में इसलिए हो पा रहा है क्योंकि मनोज सिन्हा गवर्नर हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर आप नए भारत का नयापन देखना चाहते हैं तो कश्मीर से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। वहां विकास हुआ है और वह दिखता है।
पोलो व्यू मार्किट, जिसे आप श्रीनगर का खान मार्केट कह सकते हैं, का कायाकल्प कर दिया गया है। और अब वह वाकई काबिलेतारीफ़ नज़र आता है। वहां आप अब केवल पैदल जा सकते हैं, सड़कों का फर्शीकरण कर दिया गया है, चिनार के पेड़ों पर रौशनी की जाती है और पुराने ढंग की छोटी-छोटी दुकानें हैं जिनमें से हर एक की अपनी कहानी है। मुस्कुराते हुए नीले पीटूनिया के फूलों और ढेर सारे गुलाबों के बीच खूब खुली-खुली जगह और खुशनुमा माहौल – ऐसा देश के किसी और बाज़ार में आप शायद ही देख या महसूस कर सकते हैं। लोगों को भी बहुत मज़ा आ रहा है। बच्चे इधर से उधर दौड़ लगाते हैं और जवान से लेकेर बुजुर्ग तक सेल्फी लेने में जुटे दिखेंगे। जाहिर है कि वे कुछ देर के लिए श्रीनगर के नए विकास, नए माहौल में खो जाना चाहते हैं।
डल लेक का पानी एकदम साफ़ और चमकदार है और लेक में लगे फव्वारे मानों गीत गाते, नृत्य करते हुए। झेलम के आसपास के मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों को रेनोवेट कर दिया गया है, उन पर रौशनी की जाती है। उनका सौंदर्यीकरण किया गया है।
परन्तु इस सब के लिए केवल मनोज सिन्हा और उनकी कामकाजी टीम को श्रेय देना गलत होगा। इसके लिए श्रीनगर और घाटी के लोगों की भी तारीफ की जानी चाहिए। वे इस सबसे खुश हैं, और यह साफ़ दिखाई पड़ रहा है। चारों ओर बंदूकधारियों के होते हुए भी युवा, बच्चे और बुज़ुर्ग सड़कों पर सेल्फी और फोटो ले रहे हैं, शाम को सैर कर रहे हैं और खुशनुमा माहौल का मजा ले रहे हैं। अभी किसी पक्के निष्कर्ष पर पहुंचना तो उचित नहीं होगा परन्तु इतना तो कहा ही जा सकता है कि लोग अब गुस्से से धधक नहीं रहे हैं।
जी-20 एक बार कश्मीर को दुनिया के नक़्शे पर ले आया है। हमेशा निराशा में डूबे रहते वाले कह सकते हैं कि यह सब केवल ऊपरी दिखावा है, वही आशावादी इसे मोदी सरकार का कमाल बता सकते हैं। लेकिन दोनों से अलग श्रीनगर को जैसा साफ-सुथरा बना कर सजाया गया है तो तो इसकी फील में यह तो मानना ही होगा कि बदलाव की बयार बह रही है। पैंतीस सालों की अस्थिरता, खून-खराबे, गन्दी राजनीति और दुष्प्रचार के दिन लद गए लगते हैं। परन्तु परिवर्तन हमेशा किश्तों में होता है और लोगों को नयी चीज़ों को स्वीकार करने में समय लगता है। आखिर किसी ने ठिक ही कहा है कि रोम एक दिन में नहीं बना था।
आशंकाएं अब भी हैं परन्तु दूर क्षितिज पर एक नए दिन की शुरुआत की लालिमा देखी जा सकती हैं। बात सिर्फ यह है कि हम चीज़ों को किस तरह देखते हैं। अपना चश्मा बदलिए और दुनिया आपको नई-नवेली लगेगी।और मेरा कहना है जो भी पहले श्रीनगर आए थे वे वापिस घूमने आए और देखे कि श्रीनगर साफ-सुथरा सुंदर हुआ है या नहीं! स्मार्ट सिटी जैसा होता हुआ है या नहीं। टूरिस्टों का रैला है या नहीं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)