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ब्रिटेन में भी ट्रंप जैसा बोरिस का हल्ला

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर है, वह जितनी दिलचस्प है उतनी ही चिंताजनक भी। एक ओर डोनाल्ड ट्रंप है, जो मुकदमों का सामना करते हुए भी रिपब्लिकन पार्टी और उसके मतदाताओं के दिलों पर राज कर रहे हैं। उनके दुबारा व्हाईट हाउस पहुंचने की चर्चा आम है। इसका अमेरिकी लोकतंत्र और दुनिया में उसके दबदबे पर असर पड़ेगा। दूसरी ओर इंग्लैंड के ट्रंप हैं बोरिस जॉनसन। वे भी भीड़ में जोश और उन्हे बहकाने की तरकीबें जानते हैं।उन्होने9 जून की शाम संसद से इस्तीफा दिया।लेकिन हमलावर और प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप लगाते हुए। बारिस भी ट्रंप की तरह बेकसूर होने का हल्ला कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ब्रेक्सिट का बदला लेने और सन् 2016 के जनमत संग्रह के नतीजों को पलटने के लिए बलि का बकरा ढूंढ़ा जा रहा है।” मुझे जबरन निशाना बनाया जा रहा है, यह राजनैतिक बदला है, बिना किसी सुबूत मुझे अपराधी करार दिया जा रहा है आदि आदि।

बोरिस जॉनसन के कई झूठ सामने आ रहे हैं। कोविड लाकडाउन के दौरान हुए पार्टीगेट कांड की पार्टी की योजना उन्होंने ही बनाई थी और कानून तोड़ा था। उनके चाल-चलन के बारे में सब जानते ही हैं।‘डेली टेलीग्राफ’ के पूर्व संपादक मैक्स हेस्टिंग्स ने जानसन के प्रधानमंत्री बनने के ठीक पहले कहा था, “यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि वे बदमाश हैं या केवल कपटी, लेकिन उनका नैतिक दिवालियापन, जिसकी जडें सच्चाई की परवाह न करने की उनकी प्रवृत्ति में है, संदेह से परे है।”

जॉनसन की जांच कई महीनों से लटकी हुई थी। यह भी एक कारण था जिससे ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। पिछले हफ्ते, संसदीय कमेटी की जांच की रिपोर्ट को जॉनसन से साझा किया गया। इसे अभी प्रकाशित नहीं किया गया है परन्तु इसमें जॉनसन पर गंभीर आरोप लगाये गए हैं। ब्रिटिश मीडिया के अनुसार इस जांच में जो सामने आया है, उसके चलते जॉनसन को दस दिन से अधिक के लिए संसद से निलंबित किया जा सकता था। इसका संभावित परिणाम हो सकता था लंदन के उपनगरीय संसदीय क्षेत्र अक्सब्रिज और साउथ रॉयस्लिप में उपचुनाव। और यह सुरक्षित सीट नहीं है। लेकिन जॉनसन दो कदम और आगे चले गए। शायद उनमें असुरक्षा का भाव है या खबरों में रहने, और बदनामी का डर। जो भी हो, इस्तीफा देने के बाद जॉनसन अपनी पार्टी के नेताओं की आलोचना करने लगे हैं। उनके अनुसार, रिमेनर्स (वे लोग जो चाहते थे कि ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन में बना रहे) का एक गुट उन्हें सत्ता से बाहर करने पर आमादा था।

लेकिन संसद के गलियारों में जानसन के पतन की कहानी खुद जानसन ने ही लिखी है। ट्रंप के विपरीत, जॉनसन को बिल्कुल पसंद नहीं किया जाता। उन्हें अब ब्रिटेन के सबसे घटिया प्रधानमंत्रियों में से एक माना जाता है, उन्हें एक कलंक बताया जाता है, जिसके कारण डाउनिंग स्ट्रीट की बदनामी हुई।‘द इकोनोमिस्ट’ के अनुसार आकंड़ों से पता चलता है कि उनकी लोकप्रियता उतनी ही है जितनी कि चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग की। इसलिए सत्ता में उनकी वापसी उनके अंधभक्तों के अलावा सभी को एक बेतुका सपना लगती है।

लेकिन सभी समकालीन लोकलुभावन नेताओं की तरह वे जानते हैं कि समाचारों और चर्चाओं के केन्द्र में कैसे रहा जा सकता है। वे दिलचस्प ढंग से व्यवहार करते हैं और उनकी बातें मजेदार होती हैं। परन्तु उनके आलोचकों का मानना है कि प्रजातान्त्रिक ढंग से चुने गए नेताओं पर उनके हमले घोर अप्रजातांत्रिक हैं और उनका कार्यकाल घिनौना और भ्रष्ट था।

जॉनसन की विदाई से एक और चर्चा शुरू हो गयी है। और वह यह कि ब्रिटेन में एक नयी दक्षिणपंथी पार्टी उभर सकती है। इन कयासों को पिछले कुछ हफ़्तों से पंख लग गए हैं। कंजरवेटिव पार्टी की2019 में हुई जीत के रणनीतिकार डोमिनिक कम्मिंग्स ने अपनी कई पोस्टों में यह बताया है कि वे किस तरह नयी पार्टी का गठन करेंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि ब्रिटिश राजनीति में एक ऐसी नयी पार्टी के लिए जगह है जो आर्थिक मुद्दों पर वामपंथी हो और सामाजिक मसलों में दक्षिणपंथी। अगर जनता इस कमी को पूरी करने वाली पार्टी का स्वागत करती है तो इस बात की सम्भावना है कि जॉनसन जीत जाएं। जॉनसन का यूनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री बनना भी एक अकस्मात घटनाक्रम था। वे ब्रेक्सिट के मुद्दे पर हुई ड्रामेबाजी की लहर पर चढ़कर 10, डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचे थे। अगर वे देश के मुखिया न होते तो शायद यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने का ब्रिटेन का अभियान सफल नहीं हुआ होता। बहुत कम ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से बाहर लाने के लिए संवैधानिक दृष्टि से संदिग्ध तिकड़में भिड़ाते रहे। जैसे संसद को गलत ढंग से सस्पेंड करना और अपनी ही पार्टी के 21 सांसदों को पार्टी से बाहर कर देना।बावजूद इसके जॉनसन ने2019 में जो जीत हासिल की वह मार्गरेट थैचर जितनी ही बड़ी थी।

ब्रिटिश मीडिया जॉनसन को दुनिया में देश की इज्ज़त और विरासत को मिट्टी में मिलाने वाला बता रहा है, विशेषकर ब्रेक्सिट मसले को लेकर। परन्तु जॉनसन को नहीं लगता कि उनका समय समाप्त हो गया है। वे ट्रम्प की तरह तीखी और असभ्य भाषा का उपयोग करके एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने का प्रयास करेंगे। यह ऋषि सुनक, कंजरवेटिव पार्टी और ब्रिटिश प्रजातंत्र तीनों के लिए चुनौती है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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