ईवीएम पर उठाए जा रहे सवालों को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें तब भी आरवीएम के इस्तेमाल में कई व्यावहारिक समस्याएं हैं और उसके दुरुपयोग की विपक्षी पार्टियों की आशंका भी निराधार नहीं है।
यह अच्छी बात है कि चुनाव आयोग ने विपक्षी पार्टियों की ओर से उठाए गए सवालों पर विचार किया है और रिमोट वोटिंग मशीन के इस्तेमाल को टाल दिया है। चुनाव आयोग ने पिछले साल दिसंबर में एक कांसेप्ट नोट तैयार किया था और उसे करीब 60 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों के पास भेजा गया था। इनमें से बहुत कम पार्टियों ने आयोग को अपना रिस्पांस भेजा है। ज्यादातर बड़ी पार्टियों ने इस विचार का विरोध किया है। उनको लग रहा है कि घर से दूर प्रवासी मतदाताओं को अपने गृह क्षेत्र में वोट देने की सुविधा देने के लिए खासतौर से डिजाइन की गई इस मशीन का दुरुपयोग संभव है। वैसे भी ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर कई विपक्षी पार्टियों को बड़ी आपत्ति है और उन्होंने कई बहुत ठोस सबूतों के आधार पर अपनी आशंका चुनाव आयोग को बताई है।
ईवीएम पर उठाए जा रहे सवालों को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें तब भी आरवीएम के इस्तेमाल में कई व्यावहारिक समस्याएं हैं और उसके दुरुपयोग की विपक्षी पार्टियों की आशंका भी निराधार नहीं है। रिमोट वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने विशेष मशीन डिजाइन कराई है उसमें एक मशीन में एक से ज्यादा चुनाव क्षेत्र का बैलेट पेपर अपलोड करना होगा और यह काम हर जिले का निर्वाचन अधिकारी करेगा। इसके लिए मशीन का इंटरनेट से जुड़ा होना जरूरी होगा। यानी आरवीएम स्टैंडअलोन मशीन नहीं होगी। इसे रिमोटली हैंडल किया जा सकेगा। दूसरी समस्या हर शहर में पोलिंग बूथ बनाने और वहां जाकर वोट डालने के लिए लोगों को प्रेरित करने की है। तीसरी समस्या यह है कि छोटी पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार हर शहर में अपना पोलिंग एजेंट कैसे नियुक्त करेंगे? उनके लिए चुनाव बराबरी का मैदान नहीं रह जाएगा।
हालांकि चुनाव आयोग ने इस विचार को रद्द नहीं किया है। इसके प्रशासनिक, तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर काम चल रहा है। आयोग को निश्चित रूप से इस पर काम करना चाहिए क्योंकि भारत सर्वाधिक घरेलू प्रवासियों वाला देश है। करोड़ों लोग अपने घरों से दूर कामकाज के लिए जाते हैं और मतदान में हिस्सा नही ले पाते हैं। चुनाव आयोग से पंजीकृत मतदाताओं में से करीब 30 करोड़ मतदाता मतदान नहीं करते हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है। इस संख्या में कुछ दोहराव भी होगा फिर भी अगर इनमें से जितने ज्यादा लोगों को मतदान में हिस्सा लेने की सुविधा दी जाए उतना अच्छा है। साथ ही चुनाव आयोग को ध्यान रखना चाहिए कि मतदान प्रतिशत बढ़ाने के साथ साथ मतदान की शुचिता भी बेहद जरूरी है।