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इंसान टिकेगा नहीं कृत्रिम बुद्धी (एआई) के आगे!

आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस

पूरी दुनिया में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) को ले करहल्ला है। एक ही सांस में उसकी सराहना हो रही है और निंदा भी। मानव समाज के सामने अस्तित्व का एक सवाल आ खड़ा हुई है। वह यह कि क्या एआई की तकनीक मानव सभ्यता के अंत की शुरुआत है?

कुछ दिन पहले एक अत्यंत आकर्षक फोटो, एक चमत्कृत कर देने वाले फोटो, जिसमें अलग-अलग पीढ़ियों की दो महिलाओं को ब्लैक एंड व्हाईट में दिखाया गया था, ने एक पुरस्कार जीता। जूरी और जनता दोनों इस फोटो पर मंत्रमुग्ध थे। लेकिन फोटोग्राफर बोरिस एल्डागसेन ने पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया। अपनी वेबसाईट पर एक वक्तव्य जारी कर कहा कि उन्होंने केवल यह पता लगाने के लिए पुरस्कार के लिए आवेदन किया था कि क्या अन्य फोटोग्राफर एआई तस्वीरों का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।

दर्शक और जूरी चकित रह गए। पहली बार देखने पर – और बार बार देखने पर भी- यदि आपको सच पहले से मालूम न हो – तो फोटो एकदम वास्तविक लग रही थी और आपके दिमाग में एक बार भी यह नही आएगा कि यह फोटो एआई ने बनाई है क्योंकि उसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आ रहा था जो ठीक न हो। ‘हार्ट ऑन माय स्लीव्ज‘ गाने की तरह, जिसमें ड्रेक एवं द वीकंड दोनों की आवाज़ थी परन्तु दोनों में से एक की भी नहीं थी. संगीत ऐसा था जिसे सुनकर पैर थिरकने लगें और बोल भी शानदार था। लेकिन यह गाना गोस्टराईटर977 नामक व्यक्ति ने आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से इन दोनों के गाने के अंदाज की नकल कर बनाया था। यह एक दम नया गाना था जिसे सुनकर लगता था कि ड्रेक और द वीकएंड ने पिछला वीकेंड एक साथ स्टूडियो में बिताया होगा। इस गाने को सभी म्यूजिक स्ट्रीमिंग वेबसाइटों पर पोस्ट कर दिया गया। इसने सनसनी फैला दी। बाद में कलाकारों और यूनिवर्सल म्यूजिक ग्रुप द्वारा शोर मचाने के बाद इसे हटाया गया।

लेकिन इस सबसे आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस के नैतिक तथा सामाजिक निहितार्थों को लेकर बहस प्रारंभ हो गई है। साथ ही चिंता और भय उत्पन्न हो गया है। इसके संभावित डरावने नतीजों को लेकर दुविधा की स्थिति बन गई है।

स्टीफन हाकिन्स ने चेतावनी दी थी कि पूर्णतः विकसित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मानव नस्ल की समाप्ति का पैगाम बन सकती है। उन्होंने कहा था कि यदि समाज ने इसके विकास पर अंकुश नहीं रखा तो एआई का उद्भव ‘‘हमारी सभ्यता के इतिहास की सबसे अशुभ घटना” साबित हो सकती है। इजरायली इतिहासवेत्ता एवं दार्शनिक युवाल नोह हरारी ने भी अपनी बहु-प्रशंसित पुस्तक ‘होमो डेयोस’ में ऐसा ही कुछ कहा था। उनका कहना था कि शायद हमने एक ऐसी दुनिया बना ली है जिसमें हमारे लिए ही कोई जगह नहीं है। उन्होंने साक्षात्कारों में बार-बार कहा था कि पहली बार मानव नस्ल ने ऐसा अविष्कार किया है जो उसकी शक्ति को कम करने वाला है।

इसमें कोई शक नहीं कि 21वीं सदी में मानव और उसकी बुद्धि अपनी प्राकृतिक क्षमता के माध्यम से एक ऐसे काल का सृजन कर रहा है जो प्राकृतिक नहीं बल्कि कृत्रिम है। यह जितना दिलचस्प है उतना ही मनहूस और खतरनाक भी है। एआई हम मानवों को पीछे छोड़ सकती है। वह एक ऐसी दुनिया बना सकती है जिसमें मानव और उसकी संस्थाओं से बेहतर सोचने और उनसे तेज गति से काम करने वाली ऐसी मशीनें होंगीं जिनके हित मानव जाति के हितों से अलग होंगें। इसका दुरूपयोग लोकतंत्र का गला घोंटने के लिए, धर्म को नष्ट करने के लिए, नस्लों का उन्मूलन करने के लिए और सृजनात्मकता को खत्म करने के लिए किया जा सकता है। और यह दुनिया को बदलने वाली नहीं बल्कि उसे नष्ट करने वाली ताकत बन सकती है।

मनुष्य स्वभाव से बुद्धिमान और दुष्ट दोनों होता है। क्या एआई मनुष्य से ज्यादा बुद्धिमान और उससे ज्यादा दुष्ट नहीं बन जाएगी? यही कारण है कि बहुत से वैज्ञानिकों और उनके जैसे विचार रखने वाले मानवता के शुभचिंतकों ने एआई का विकास रोकने की मांग की है क्योंकि तैयारी के बिना ऐसा करने का परिणाम कदाचित यह होगा कि एआई वह नहीं करेगी जो हम उससे करवाना चाहते हैं। उसे न हमारी परवाह होगी और ना ही जीवन की संवदेनाओं की। सिद्धांत के स्तर पर एआई को इन चीज़ों की परवाह करना सिखाया जा सकता है लेकिन अभी हम न इसके लिए तैयार हैं और ना ही यह जानते हैं कि ऐसा कैसे किया जाए। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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