Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर 14 जनवरी को संपन्न हुआ, जिसे लेकर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास देखने को मिला।
इस दिन बड़ी संख्या में साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई और पुण्य की प्राप्ति की। मकर संक्रांति का दिन महाकुंभ के इतिहास में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इस दिन होने वाला स्नान धार्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अब, श्रद्धालुओं को दूसरे अमृत स्नान का इंतजार है, जो महाकुंभ के समय में एक और महत्वपूर्ण अवसर के रूप में सामने आ रहा है।
महाकुंभ के दौरान प्रत्येक स्नान का एक विशेष महत्व होता है, और दूसरे अमृत स्नान का आयोजन मौनी अमावस्या के दिन होने जा रहा है।
मौनी अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु मौन रहते हुए अपने आंतरिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं, और संगम में स्नान करके पुण्य फल की प्राप्ति करते हैं। यह दिन विशेष रूप से ध्यान, साधना, और आत्मा की शुद्धि के लिए समर्पित होता है।
also read: Sakat Chauth 2025: इस कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत, जरूर पढ़ें ये कथा
अमृत स्नान मोक्ष के द्वार खोलता
महाकुंभ के इस दूसरे अमृत स्नान में लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में आकर स्नान करेंगे, जिससे न केवल वे पुण्य कमा सकेंगे, बल्कि वे अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति भी पा सकते हैं।
इस दिन का शुभ मुहूर्त भी विशेष रूप से निर्धारित किया जाएगा, और पूजा-अर्चना के साथ-साथ अनेक धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाएंगे।(Mahakumbh 2025)
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ के दौरान होने वाला अमृत स्नान पुण्य की प्राप्ति, दोष निवारण और मोक्ष के द्वार खोलता है, इसलिए यह अवसर श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मौनी अमावस्या के दिन के अमृत स्नान से संबंधित पवित्रता और आस्था का आलम यह है कि लाखों लोग सालों तक इस अवसर की प्रतीक्षा करते हैं।
यह दिन न केवल आत्मिक उन्नति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर अपने जीवन के पापों को धोने का विश्वास रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हुए अपने जीवन को दिव्य बनाते हैं।
महाकुंभ के इस दूसरे अमृत स्नान को लेकर भक्तों में एक विशेष उत्साह है, और यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण रहेगा।
धार्मिक उन्नति और मानसिक शांति
इस बार मौनी अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। मौनी अमावस्या का दिन विशेष रूप से पवित्र और पुण्यप्रद माना जाता है, और इस बार का महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा।
चंद्रमा और सूर्य के मकर राशि में होने के साथ ही गुरु वृषभ राशि में रहेंगे, जो इस समय विशेष संयोग बना रहे हैं। इन ग्रहों की स्थिति से उत्पन्न होने वाले शुभ योग का प्रभाव इस दिन के अमृत स्नान पर पड़ेगा, जिससे भक्तों को अधिक लाभ और पुण्य की प्राप्ति होगी।(Mahakumbh 2025)
महाकुंभ के इस दूसरे अमृत स्नान को लेकर श्रद्धालुओं में गहरी आस्था और विश्वास है, और यह अवसर हर साल की तरह इस बार भी एक अनूठा धार्मिक अनुभव साबित होने वाला है।
इस दिन सूर्य और चंद्रमा की स्थिति विशेष रूप से शुभ है, क्योंकि मकर राशि में दोनों ग्रहों का संयोग, साथ ही गुरु का वृषभ राशि में स्थित होना, शुभ फल देने वाला है।
गुरु का वृषभ राशि में होना एक अत्यंत भाग्यशाली स्थिति मानी जाती है, जिससे यह दिन खासकर धार्मिक उन्नति और मानसिक शांति के लिए आदर्श है।
दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या को
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 2025 के मौनी अमावस्या के दिन होगा, और इसे एक अत्यंत पुण्यदायी अवसर माना जाता है।
इस दिन संगम में स्नान करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन भी होता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से ध्यान और साधना करने का महत्व है। मौन रहने का रिवाज भी है, जिससे भक्त अपने मन को शांत कर सकते हैं और ईश्वर से संवाद कर सकते हैं।
यह दिन आंतरिक शांति प्राप्त करने और आत्मा की शुद्धि का दिन है, और विशेष रूप से ध्यान साधना और तंत्र-मंत्रों का उच्चारण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ के इस स्नान का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि समाजिक दृष्टि से भी अत्यधिक है। इस दिन लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं, और यह दृश्य एक अद्भुत आध्यात्मिक समागम का प्रतीक बनता है।
इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य भक्तों के जीवन को आध्यात्मिक रूप से प्रगति की ओर ले जाना है।(Mahakumbh 2025)
शुभ मुहूर्त भी अत्यंत विशेष
इस दिन का शुभ मुहूर्त भी अत्यंत विशेष होता है, और इसे लेकर पंडितों और ज्योतिषियों द्वारा समय-समय पर पूजा विधियों और अमृत स्नान के समय का निर्धारण किया जाता है।
भक्तों के लिए यह दिन एक आदर्श समय होता है जब वे अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए प्रयासरत होते हैं और ईश्वर के आशीर्वाद से अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलते हैं।
संक्षेप में, महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान इस बार के शुभ योगों के कारण विशेष महत्व रखता है। यह दिन केवल एक स्नान का अवसर नहीं, बल्कि एक आंतरिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है।
इस दिन का पुण्य केवल व्यक्तियों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के लिए भी मंगलकारी है।
अमृत स्नान से मिलता है मोक्ष
महाकुंभ एक ऐसा धार्मिक आयोजन है जो हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला अमृत स्नान विशेष रूप से पुण्य और मोक्ष प्राप्ति का एक अवसर माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के दौरान होने वाले अमृत स्नान में गंगा और अन्य पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि श्रद्धालु को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
इस दिन का महत्व इतना अधिक है कि इसे जीवन में एक नई शुरुआत और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
महाकुंभ के दौरान होने वाले अमृत स्नान का हर दिन विशेष महत्व रखता है, लेकिन कुछ दिन ऐसे होते हैं जो धार्मिक दृष्टि से और भी ज्यादा पवित्र और फलदायी माने जाते हैं।
इन दिनों में लोग विशेष रूप से स्नान करने के लिए संगम पहुंचते हैं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और भी पवित्र बनाते हैं।
इन अवसरों पर होने वाला स्नान न केवल शरीर की शुद्धि करता है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
मोक्ष प्राप्ति का सबसे बड़ा अवसर
इस साल, महाकुंभ 2025 के दौरान दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन होगा। इस दिन विशेष रूप से हजारों-लाखों श्रद्धालु संगम में आकर स्नान करते हैं, और इसे पुण्य और मोक्ष प्राप्ति का सबसे बड़ा अवसर माना जाता है।
इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसे एक शुभ योग के तहत किया जाता है, जिसमें चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होंगे और गुरु वृषभ राशि में स्थित होंगे, जो इसे एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण बना देता है।
महाकुंभ के इस दूसरे अमृत स्नान का उद्देश्य केवल शरीर की शुद्धि नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मानसिक उन्नति है।(Mahakumbh 2025)
इस दिन का स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सारे दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दान-पुण्य का भी विशेष महत्व
इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन विभिन्न धार्मिक कार्यों जैसे तर्पण, हवन, पूजा, और दान आदि का आयोजन किया जाता है।(Mahakumbh 2025)
इन कार्यों से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में समृद्धि और सुख आता है। विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की अधिक प्राप्ति होती है।
महाकुंभ में होने वाला यह दूसरा अमृत स्नान एक शुभ मुहूर्त में संपन्न होता है, जिसे पंडितों और ज्योतिषियों द्वारा तय किया जाता है।
इस मुहूर्त में स्नान करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन के सारे कष्ट और पाप समाप्त हो जाते हैं। इस अवसर पर विशेष ध्यान और साधना करने से मनुष्य अपने जीवन में संतुलन और शांति पा सकता है।
संक्षेप में, महाकुंभ के इस दूसरे अमृत स्नान का महत्व अत्यधिक है। यह दिन न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आत्मिक उन्नति का अवसर है।
इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु इस दिन का बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ इंतजार करते हैं।
महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान कब?
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर किया जाएगा, जो महाकुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान माना जा रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर होगी और यह 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी।(Mahakumbh 2025)
इस प्रकार, उदयातिथि के अनुसार, महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान 29 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन त्रिवेणी संगम पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और 6 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा।
इस समय में स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि कोई ब्रह्म मुहूर्त में स्नान या दान नहीं कर पाता, तो वह सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय स्नान और दान कर सकता है।
मौनी अमावस्या के अमृत स्नान का महत्व(Mahakumbh 2025)
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान का महत्व इसलिए भी और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन पितर धरती पर आते हैं. इस दिन संगम में स्नान के साथ-साथ पितरों का तर्पण और दान भी करना चाहिए.
मृत स्नान की तिथियां ग्रहों की चाल और स्थिति देखकर तय की जाती हैं. मौनी अमावस्या का अमृत स्नान हर किसी को करना चाहिए. इस दिन स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है.
महाकुंभ 2025 शाही स्नान तिथियां
पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 के दिन पहला शाही स्नान होगा.
मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 के दिन दूसरा अमृत स्नान होगा.
मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 के दिन तीसरा अमृत स्नान होगा.
बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 के दिन चौथा अमृत स्नान होगा.
माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 के दिन पांचवा शाही स्नान होगा.
महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 के दिन आखिरी शाही स्नान होगा.