राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

प्रथम पूज्य श्रीगणेश को क्यों कहा जाता है एकदंताय, यहां गिरा था टूटा दांत

Ganesh Chaturthi 2024

Ganesh Chaturthi 2024: हम किसी भी अच्छे कार्य की शुरूआत करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा की जाती है. इस कारण गणेश जी को प्रथम पूजनीय देव कहा जाता हैं. किसी भी धार्मिक कार्य या पूजा शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजन किया जाता है. भगवान गणेश की पूजा करने के लिए शास्त्रों में सबसे उत्तम बताया गया है.

वैसे तो गणेश जी के कई नाम है जैसे- गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन आदि. लेकिन गणेशजी को इनसब के अलावा एकदंत नाम से भी जाना जाता हैं. इस नाम से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इसके साथ ही भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जिसके बारें में यह मान्यता है कि भगवान गणेश का टूटा हुआ दंत वहीं पर गिरा था.

also read: भूल भुलैया 3 की शूटिंग कर रहे रूह बाबा और विद्या बालन की मंजूलिका

गणेश जी कैसे बने एकदंत

एक समय की बात है एक बार परशुराम जी महादेव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर गए. उस समय भगवान गणेश द्वार पर रक्षक बन खड़े थे. तब परशुराम जी ने गणेशजी से कहा- मुझे महादेव से मिलना है, मुझे अंदर जाने दें. गणेश जी ने परशुराम को अंदर नहीं जाने दिया. इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया. परशुराम जी ने गणेशजी को कहा- यदि मुझे अंदर नहीं जाने दिया तो मुझसे आपको युद्ध करना पड़ेगा. और यदि मैं युद्ध में विजयी हुआ तो मुझे भगवान शिव से मिलने अंदर जाने देना होगा. भगवान गणेश ने युद्ध की चुनौती स्वीकार की. दोनों के बीच बड़ा भीषण युद्ध चला. युद्ध के दौरान परशुराम जी ने अपने फरसे से भगवान गणेश पर वार किया और परशुराम जी के फरसे से उनका एक दांत टूट कर वहीं गिर गया. उसके बाद से ही गणेश जी एकदंत कहलाए.

गजानन से जुड़ी अन्य कथाएं

अन्य कथाओं के अनुसार गणेश का परशुराम नहीं भाई कार्तिकेय की वजह से गणेश जी का दांत टूटा था. दोनों भाईयों के विपरीत स्वभाव के चलते शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे, क्योंकि गणेश जी कार्तिकेय को बहुत परेशान करते थे. ऐसे ही एक झगड़े में कार्तिकेय ने भगवान गणेश को सबक सिखाने का निश्चय किया और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी जिससे उनका एक दांत टूट गया.

इसके अलावा यह भी कथा प्रचलित है कि महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी के आगे शर्त रखी. शर्त यह थी कि वो बोलना नहीं बंद करेंगे, यानि वे लगातार बोलेंगे और गजानन को बिना रुके लिखेंगे ऐसे में गणेश जी ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया.

यहां गिरा था गणेश जी का दांत

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से करीब 13 किमी दूर बारसूर गांव में ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर सैकड़ों साल पुरानी यह भव्य गणेश मूर्ति विराजमान है. यह पूरी दुनिया में दुर्लभ मूर्तियों में से मानी जाती है. इन्हें दंतेवाड़ा का रक्षक के नाम से भी जाना जाता है.

दंतेवाड़ा जिले में एक कैलाश गुफा भी मौजूद है. कहा जाता है कि यह वहीं कैलाश क्षेत्र हैं जहां गणेश जी और परशुराम के बीच भीषण युद्ध हुआ था. इस युद्ध में गणपति का एक दांत टूटकर यहां गिरा था. परशुराम जी के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया.

By NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें