Anant Chaturdashi 2024: 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का कल आखिरी दिन है. गणेश उत्सव के अंतिम दिन को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. अनंत चतुर्दशी के पर्व को अनंत चौदस भी कहा जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का भी समापन किया जाता है. 10 दिनों तक धूमधाम से मनाए जाने वाले गणेशोत्सव में अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा को घर में विराजित किया जाता है और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विसर्जित कर दिया जाता है.
अनंत चतुर्दशी की तिथि भगवान श्रीहरि की पूजा के लिए विशेष और महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से विष्णु जी की पूजा करने से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाभारत काल में पांडव ने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर ही अपना खोया हुआ राज पाठ प्राप्त किया था.
इस साल चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 16 सितंबर को दोपहर 3:10 बजे पर हो रहा है और यह 17 सितंबर सुबह 11:44 बजे समाप्त होगा. उदया तिथि के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर 2024 को रखा जाएगा. (Anant Chaturdashi 2024)
also read: बारिस हो गर्मी हो, हर समय संकट
क्या है चौदह ग्रंथि का सूत्र
अनंत चतुर्दशी के दिन चौदह ग्रंथि का सूत्र बांधने का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस सूत्र का महत्व क्या है और इसे किस विधि के साथ बांधकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है. आपको बता दें इस दिन भगवान विष्णु के पूजन के दौरान चौदह ग्रंथि का सूत्र उनके सामने रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए.
पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों से इस अनंत सूत्र को जागृत किया जाता है. साथ ही पूरे विधि विधान के साथ पूजा के बाद इस चौदह ग्रन्थ अनंत सूत्र को पुरुष अपने दाहिने हाथ के बांह पर बांधते हैं. वहीं महिलाओं को बाएं हाथ के बांह पर यह सूत्र बांधा जाता है.
अनंत चतुर्दशी के दिन नमक नहीं खाएं
इस अनंत सूत्र को धारण करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. साथ ही उन्हें सुख समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए आप कुछ खास उपायों को कर सकते हैं.
भगवान विष्णु का कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. व्रत के संकल्प के दौरान क्षीर सागर में विराजे भगवान विष्णु के रूप का ध्यान करें. इस दिन व्रत के दौरान आपको नमक रहित फलहार का ही सेवन करना है. अन्यथा आपकी पूजा अधूरी रह सकती है.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है. यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए नया इंडिया उत्तरदायी नहीं है.