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कावड़ यात्रियों के लिए अभिशाप है यह पेड़, नीचे से निकलने से यात्रा होती है खंडित

Kanwar Yatra

Kanwar Yatra: महादेव के श्रावण का पवित्र महीना चल रहा है. इस महीने में शिव को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्त महादेव की अराधना कर रहे है. सावन के महीने में Kanwar Yatra की शुरूआत भी हो चुकी है. कहा जाता है कि भगवान शिव को सावन माह और कावड़ यात्रा दोनों ही अतिप्रिय होते है.(Kanwar Yatra) हिन्दू धर्म में कांवड़ यात्रा को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं.

बेलपत्र के बराबर है महत्व

मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि गूलर के पेड़ के नीचे से कांवड़ लेकर निकलने पर कावड़ खंडित हो जाती है. इसका जल भगवान शिव शंकर को चढ़ाने के लायक नहीं बचता है और शिवभक्तों की शिव पूजा अधूरी मानी जाती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में गूलर का वृक्ष एक पूजनीय वृक्ष माना गया है. इसका संबंध शुक्र ग्रह से है और शुक्र ग्रह यानि शुक्र देवता को महामृत्युंजय मंत्र के उपासक के रूप में माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि गूलर के पेड़ का संबंध यक्षराज कुबेर से भी है और कुबेर भगवान शिवजी के मित्र हैं. यही वजह है कि गूलर के वृक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से माना जाता है. भगवान शिवजी की पूजा में जितना महत्व बेलपत्र के पेड़ का रहता है उतना ही महत्व गूलर के पेड़ का रहता है.

इस कारण है अभिशाप

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गूलर के फल में असंख्य जीव होते हैं. ये फल अक्सर पेड़ से टूटकर जमीन पर गिर जाते हैं. ऐसे में यदि पेड़ के नीचे से गुजरते हुए कावड़िए का पैर इस फल पर पड़ेगा तो उन जीवों की मृत्यु हो सकती है. ऐसे में कावंड़िए पर हत्या का पाप लगता है और उसका पवित्र जल खंडित हो जाता है. कांवड़िए बेहद पवित्र भावना के साथ जल लेकर रवाना होते हैं. ऐसे में गूलर के पेड़ के नीचे से गुजरने से उन्हें बचें. इसके लिए उन्हें सतकर्ता बरतने की जरूरत है.

कांवड़ यात्रा के नियम(Kanwar Yatra)

1. कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नशा और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए.
2. कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को बिना स्नान किए कावड़ को स्पर्श नहीं करना चाहिए.
3. कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को अपने कावड़ को चमड़े से स्पर्श नहीं होने देना चाहिए.
4. कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह के वाहन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
5. कावड़ यात्रा में व्यक्ति को अपनी कावड़ चारपाई या वृक्ष के नीचे नहीं रखनी चाहिए.
6. कावड़ यात्रा में कावड़ को सिर के ऊपर से भी नहीं लेकर जाना चाहिए.

कांवड़ खंडित होने पर करें ये काम

कावड़ यात्रा के दौरान यदि किसी प्रकार का अवरुद्ध लगता है तो उस मार्ग को छोड़ देना चाहिए. जैसे कावड़ मार्ग पर गुल्लर के पेड़ आ जाएं तो वहां से हटकर निकलना चाहिए ताकि जल खंडित न हो. मान्यता ये भी है कि यदि गूलर के पेड़ के नीचे से निकले हैं और कांवड़ खंडित हो जाए तो घबराए नहीं. खंडित हुई कांवड़ को शुद्ध करने के लिए अपनी कावड़ के साथ पवित्र स्थान पर बैठकर 108 बार नम: शिवाय: का जाप करते हुए भगवान शिव और गुल्लर कंपेड को प्रणाम करें. ऐसा करने से खंडित हुई कावड़ शुद्ध हो जाती है और कावड़िये की तपस्या में आया विघ्न भी दूर हो जाता है.

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