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सोमवार से शुरू और सोमवार को ही खत्म होगा श्रावण का महीना…जानें कब से है शुरू

sawan2024: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी या हरिशयनी एकादशी जा चुकी है. इस तिथि से चार माह के लिए भगवान विष्णु जी क्षीरसागर में विश्राम करते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है. इन 4 महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. एकादशी के बाद 22 जुलाई से शिव जी का प्रिय महीना सावन का शुभारंभ हो रहा है. जब विष्णु जी विश्राम करते हैं, तब शिव जी इस सृष्टि की सार-संभाल करते है. इस पूरे महीने में शिव जी के लिए विशेष पूजा-पाठ की जाती है. इन दिनों में शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने की परंपरा है. मान्यता है कि इस महीने में कुंवारी कन्याएं व्रत करके शिवजी से जो कुछ भी मांगती है वह अवश्य पूर्ण होता है.

सोमवार से शुरू और सोमवार को ही खत्म होगा सावन

इस साल सावन माह सोमवार 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और सोमवार 19 अगस्त को ही खत्म होगा. तिथियां घटने से सावन महीना 29 दिन का ही रहेगा. 19 अगस्त को सावन माह की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. श्रावण महीने का पहला सोमवार 22 जुलाई को, दूसरा सोमवार 29 जुलाई को, तीसरा सोमवार 5 अगस्त को, चौथा सोमवार 12 अगस्त को और पांचवां सोमवार 19 अगस्त को रहेगा.

महादेव का प्रिय माह सावन

पौराणिक मान्यता है कि सावन माह में देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप किया था. इस तप से प्रसन्न होकर शिव जी ने देवी की मनोकामना पूरी करने का वर दिया था. इस माह में किए गए देवी के तप की वजह से ही शिव जी को अपनी शक्ति वापस मिली थीं, माना जाता है कि इसी वजह से शिव जी को सावन माह विशेष प्रिय है.

सावन माह में कर सकते हैं ये शुभ काम

1. इस महीने में रोज सुबह शिव जी का अभिषेक करना चाहिए
2. शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ऊँ नम: शिवाय का जप करें
3. शिवलिंग पर चंदन का लेप करें
4. बिल्व पत्र, हार-फूल, वस्त्र आदि से भगवान का श्रृंगार करें.
5. जनेऊ, अबीर, गुलाल, भस्म चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं
6. मिठाई का भोग लगाएं। शिव जी के मंत्रों का जप करें
इस महीने में शिव जी की कृपा पाने के लिए शिव जी के आराध्य देव भगवान श्रीराम के नाम का जप करना चाहिए. राम नाम का जप शिव जी की पूजा में भी कर सकते हैं. माना जाता है कि राम नाम का जप करने वाले भक्तों पर शिव जी विशेष कृपा करते हैं. सोमवार को चंद्र देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए. शिव जी मस्तक पर विराजित चंद्र का जल, दूध से अभिषेक करें. ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए.

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