Jageshwar Dham : सृष्टि के जन्म से पहले भी महादेव की पूजा होती थी और सृष्टि के अंत के बाद भी महादेव की पूजा की जाएगी. लेकिन कई बार सवाल यह उठता है कि शिवलिंग की पूजा की शुरूआत (Jageshwar Dham) कैसे हुई. पुराणों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है. आइए आज हम जानते है कि शिवलिंग की पूजा कब और किसने प्रारंभ की.
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देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है वह स्थान
भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा की शुरुआत के बारे में तो पुराणों में भी उल्लेख मिलता है. भारत में एक ऐसी जगह है जहां से शिवलिंग की पूजा करने की शुरुआत मानी जाती है, यहीं नहीं मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने स्वयं शिवलिंग की स्थापना भी की थी. देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृति नगरी के रूप में भी जाना जाता है. धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण अल्मोड़ा जिले में कई पौराणिक और एतिहासिक मंदिर हैं. जिसमें से एक जागेश्वर धाम मंदिर भी हैं जहां से शिवलिंग पूजन की शुरूआत मानी जाती है. मंदिरों के समूह और ज्योतिर्लिंगों आदि के लिए जागेश्वर का नाम इतिहास में दर्ज है. यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है.
यहां से शुरू हुई लिंग पूजा
जागेश्वर धाम को भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है. कहा जाता है कि यह प्रथम मंदिर है जहां लिंग के रूप में शिवपूजन की परंपरा सर्वप्रथम आरंभ हुई. जागेश्वर को उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है. इसे योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. इस मंदिर परिसर में पार्वती, हनुमान, मृत्युंजय महादेव, भैरव, केदारनाथ, दुर्गा सहित कुल 124 मंदिर स्थित हैं जिनमें आज भी विधिवत् पूजा होती है. मान्यता के अनुसार, यहां भगवान शिव और सप्तऋषियों ने अपनी तपस्या की शुरुआत की थी. इस जगह से ही शिव लिंग को पूजा जाने लगा था. यह मंदिर देखने में बिल्कुल केदारनाथ मंदिर की तरह लगता है.