Gaya :- हिंदू धर्म में पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए गया में पिंडदान को एक अहम कर्मकांड माना जाता है। बिहार का गया इसके लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के 15 दिन को ‘पितृपक्ष’ कहा जाता है। इस पखवारे में लोग अपने पूर्वजों की मृतात्माओं की मुक्ति के लिए यहां आकर पिंडदान करते हैं, यही कारण है कि गया को ‘मोक्ष की भूमि’ भी कहा जाता है। जिला प्रशासन ने इस साल पितृपक्ष के दौरान देश-विदेश से आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए समुचित व्यवस्था का दावा किया है।
स्वयं जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम पूरी व्यवस्था की देखरेख कर रहे हैं। पितृपक्ष मेला को लेकर जिला प्रशासन की तैयारियों के संबंध में डॉ. त्यागराजन ने बताया कि इस वर्ष पितृपक्ष मेला में 12 से 14 लाख तीर्थयात्रियों के आने की सम्भावना है। उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने एवं विदेशों से तीर्थयात्री पितृपक्ष में पूर्वजों का पिंडदान-तर्पण करने मोक्ष भूमि आते हैं। उन्होंने बताया कि पितृपक्ष मेला के दौरान गया के 54 पिंडवेदियों पर तीर्थयात्री श्राद्ध और तर्पण के कर्मकांडों को पूरा करेंगे। सफल आयोजन के लिए 19 समितियों का गठन किया गया है। प्रत्येक समिति में पदाधिकारियों की जिम्मेवारी तय की गई है।
मेला क्षेत्र को 43 जोन व 329 सेक्टर में बांट कर दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। पितृपक्ष मेला के दौरान प्रशासन ने गया शहर के कई मार्गों की यातायात व्यवस्था में परिवर्तन किया है। पिंडदानियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी 4278 पुलिसकर्मियों के कंधे पर है। इसमें आठ डीएसपी रैंक के अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा वरीय अधिकारी भी समय-समय पर सहयोग करते रहेंगे। विभिन्न स्थलों पर 67 पुलिस शिविर बनाए गए हैं। इसके अलावा ड्रोन, पैनाकूलर, वॉच टावर के माध्यम से संवेदनशील स्थलों की निगरानी की जाएगी। पितृपक्ष मेला के अवसर पर 132 चिकित्सक, 213 पारा-मेडिकल स्टाफ के माध्यम से 102 स्वास्थ्य शिविर की स्थापना मेला क्षेत्र में की गई है।
इसके अलावा पांच टीम के माध्यम से खाद्य पदार्थों की जांच की जाएगी। पितृपक्ष मेला के अवसर पर तीर्थयात्रियों के रहने के लिए 63 सरकारी आवासन स्थल पर 70 हजार से अधिक यात्रियों के आवासन की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त गांधी मैदान में टेंट सिटी बनाई गई है। जबकि, विभिन्न मोनास्ट्री में तीन हजार यात्रियों के आवासन की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त 121 होटल, गेस्ट हाउस, 542 पंडा के निजी भवन एवं 11 धर्मशाला को भी यात्रियों के रहने के लिए चिह्नित किया गया है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, रिंग बस एवं प्रीपेड निजी टैक्सी का किराया निर्धारित किया गया है। श्रद्धालुओं के पीने के पानी के लिए गंगा जल की व्यवस्था की गई है। (आईएएनएस)