राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

जानें नए साल की पहली और विष्णुजी की प्रिय वैकुंठ एकादशी कब? तारीख करें नोट

वैकुंठ एकादशी 2025Image Source: https://ghantee.com/

वैकुंठ एकादशी 2025 : हिंदू धर्म में सभी एकादशी का विशेष महत्व होता है। लेकिन भगवान विष्णु की प्रिय वैकुंठ एकादशी का विशेष महत्व माना गया है।

वैकुंठ एकादशी वैकुंठ के स्वामी श्री हरि की प्रिय मनी गई है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है।

साथ ही वैकुंठ एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु के लोक में स्थान मिलता है. साथ ही, व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, वैकुंठ एकादशी तिथि पर वैकुंठ लोक का मुख्य द्वार खुला रहता है.

वैदिक गणना के अनुसार, वैकुंठ एकादशी का पर्व सूर्य के धनु राशि में गोचर के दौरान आता है। यह पर्व आमतौर पर पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। जानते हैं कि साल 2025 में वैकुंठ एकादशी कब है और इस दिन पूजा करने की तरीका क्या है……

also read: Tulsi Plant Niyam: इस दिन तुलसी को छूने की भूल पड़ सकती है भारी, हो जाएंगे कंगाल

साल 2025 में वैंकुठ एकादशी कब?

वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 जनवरी को दोपहर 12.22 मिनट पर शुरू होगी.

वहीं, इस एकादशी तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 10.19 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 10 जनवरी को वैकुंठ एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

वैकुंठ एकादशी 2025 व्रत पारण समय

शुक्रवार के दिन 10 जनवरी को वैकुंठ एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करें. शाम में आरती करें और फिर फलाहार करें.

रात में जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना करें. इसके अगले दिन रोजाना की तरह पूजा-पाठ कर व्रत खोलें. व्रत खोलने के बाद ब्राह्मणों को दान जरूर दें.

वैकुंठ एकादशी का व्रत 11 जनवरी को सुबह 07.21 मिनट से लेकर 8.21 मिनट के बीच खोल सकते हैं.

वैंकुठ एकादशी पूजा विधि

वैकुंठ एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें.
उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें.
इसके बाद घर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें.
फिर सामान्य पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
अब आचमन करने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनें.
इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लौटे से जल का अर्घ्य दें.
पंचोपचार करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें.
पूजा के समय भगवान विष्णु को फल, फूल, आदि चीजें अर्पित करें.
अंत में आरती कर घर की सुख-समृद्धि की कामना करें.

By NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें