Devshayani Ekadashi: हिंदु धर्म में हर व्रत और त्योंहार का विशेष महत्व होता है. ऐसे ही एकादशी का व्रत का भी विशेष महत्व होता है और यह भगवान श्रीहरि को समर्पित होता है. आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी बुधवार, 17 जुलाई को मनाई जाएगी. इस एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए क्षीरसाग में चले जाएंगे. विष्णुजी के साथ सभी देव भी विश्राम के लिए प्रस्थान कर जाएंगे. ऐसे में अब चार माह के लिए भगवान शंकर सृष्टि का संचालन संभालते हैं. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाते हैं. चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं. इन दिनों पूजा-पाठ, मंत्र जप, ध्यान, ग्रंथों का पाठ, दान-पुण्य करने की परंपरा है.
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12 नवंबर को देवउठनी एकादशी
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चातुर्मास 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर समाप्त होंगे. ऐसी मान्यता है कि चार माह के लिए मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.अगर हम इन दिनों में कोई शुभ काम करते हैं तो भगवान उसमें उपस्थित नहीं होते हैं. विष्णु जी पंचदेवों में से एक हैं और हर शुभ काम की शुरुआत पंचदेव पूजन से ही होती है. 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि क्षीरसीगर से बाहर आ जाएंगे. देवउठनी एकादशी पर पुन: इस सृष्टि का सार संभल करेंगे. 12 नवंबर देवउठनी एकादशी से सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे.
देवशयनी एकादशी पर करें ये शुभ काम
1. हरिशयनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाएं
2. घर के मंदिर में लक्ष्मी-नारायण का अभिषेक करें
3. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और ऊँ श्रीं श्रिये नम: मंत्र का जप करें
4. देवशयनी एकादशी पर दिनभर व्रत रखकर अन्न का सेवन न करें
5. भगवान की पूजा कर एकादशी की व्रत कथा सुनें
6. भगवान शिव का अभिषेक कर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें
7. किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दान करें