Janmashtami 2024: महादेव का प्रिय सावन का महीना चल रहा है. यह महीना महादेव और माता पार्वती के लिए बेहद खास है. इस महीनें में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आने वाले है. सावन महीने का शुभारंभ 22 जुलाई से हुआ था लेकिन अगस्त के महीने में कई महत्वपूर्ण और बड़े त्योंहार आने वाले है. भक्तों के लिए अगस्त का महीना बेहद खास होने वाला है क्योंकि इस महीने में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. ऐसे में इस साल 26 अगस्त 2024 को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जन्माष्टमी का दिन कृष्ण पूजा को समर्पित होता है. इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास रखने का भी विधान है. मान्यता है कि जन्माष्टमी पर व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
भारत में जन्माष्टमी को श्री कृष्ण के जन्म रूप में मनाया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है, जिसकी तैयारी घरों में महीने भर पहले ही शुरू हो जाती है. इस दौरान कई प्रकार की मिठाईयां भी बनाई जाती है, जिसका भोग कृष्ण जी को जन्माष्टमी पर लगाया जाता है. जन्माष्टमी पर मंदिरों में कई शुभ मांगलिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं, जो सभी कान्हा जी को समर्पित होते हैं. वहीं भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और वृंदावन में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप की पूजा की जाती है. ऐसे में आइए जन्माष्टमी की पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं…
26 अगस्त को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस साल जन्माष्टमी का व्रत 26 अगस्त 2024 को रखा जाएगा
अष्टमी तिथि प्रारम्भ-अगस्त 26 को 3:39 AM
अष्टमी तिथि समाप्त – अगस्त 27 को 02:19 AM
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – अगस्त 26, 2024 को 03:55 PM
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – अगस्त 27, 2024 को 03:38 PM
जन्माष्टमी का मुहूर्त-पूजन विधि
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ दिन पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 26 अगस्त देर रात 12 से लेकर 12:45 AM (अगस्त 27) तक रहने वाला है. इस दौरान पूजा की कुल अवधि 45 मिनट तक की है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है. योग का समय 26 अगस्त दोपहर 3:55 से लेकर 27 अगस्त को सुबह 5:57 तक रहने वाला है. जन्माष्टमी के दिन जल्दी उठकर स्नान कर लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद रात में पूजा मुहूर्त के समय कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं. इसके बाद कान्हा जी का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र अर्पित करें. इस दौरान कृष्ण जी को पीले चंदन या फिर केसर का तिलक जरूर लगाएं. इसके बाद मोर मुकुट और बांसुरी रखकर उन्हें झूला झुलाएं. इसके बाद आप माखन-मिश्री और पंजीरी का भगवान को भोग लगाएं. फिर आरती करके प्रसाद को वितरित करें.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है. यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए नया इंडिया उत्तरदायी नहीं है
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