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रसोई के जायके में लगा मंहगाई का तड़का, प्याज-टमाटर के बाद आलू भी हुआ महंगा

expensive potato

expensive potato: एक रसोई में सबसे पसंदीदार और महत्वपूर्ण सब्जियां होती है आलू-प्याज-टमाटर. आलू-प्याज-टमाटर सबसे महत्वूर्ण जायका माना जाता है. सब्जियों के महंगी होने के कारण रसोई का बजट और स्वाद दोनों बिगड़ जाते है. पिछले कुछ दिनों में प्याज और टमाटर ने अपने भाव बढाए थे. और अब रसोई में महत्वपूर्ण आलू भी मंहगा हो गया है. लेकिन सरकार इसके लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है. (expensive potato) रसोई के बिगड़े बजट से परेशान आम लोगों को आने वाले दिनों में राहत मिल सकती है. सरकार आलू की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न योजनाएं बना रही है. उसके लिए जल्दी ही पड़ोसी देश भूटान समेत अन्य देशों से आलू का आयात शुरू किया जा सकता है.

ये है सरकार की योजनाएं

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को लग रहा है कि देश में आलू के कम उत्पादन के कारण कीमतों में इजाफा हो रहा है. ऐसे में सरकार कीमतों में नरमी लाने के लिए विभिन्न उपायों पर गौर कर रही है. रिपोर्ट में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि सरकार पड़ोसी देश भूटान से आलू मंगाने की मंजूरी दे सकती है. अन्य देशों से भी आलू का आयात करने पर विचार किया जा सकता है. अधिकारी के अनुसार, सरकार व्यापारियों को फिलहाल छोटे-छोटे अमाउंट में आलू का आयात करने की मंजूरी दे सकती है. सरकार ने पिछले साल भूटान से आलू खरीदने की मंजूरी दी थी. सरकार ने पिछले साल जो मंजूरी दी थी, उसके तहत व्यापारी बिना लाइसेंस के जून 2024 तक भूटान से आलू खरीदकर भारत ला सकते थे.

 

उत्पादन में गिरावट की आशंका

भारत आलू का उत्पादन करने के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है. आलू के उत्पादन के मामले में भारत से आगे सिर्फ चीन है. पिछले साल भारत में 60.14 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ था. इस साल आलू का उत्पादन कम रहने की आशंका है. कृषि मंत्रालय के पहले एडवांस एस्टिमेट के अनुसार, इस साल देश में आलू का उत्पादन लगभग 58.99 मिलियन टन रह सकता है. दरअसल खराब मौसम होने के कारण पश्चिम बंगाल और यूपी जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में आलू की फसल प्रभावित हुई है.

 

इसके चलते आलू के दामों में भी प्याज और टमाटर की तरह इजाफा होने लगा है. टमाटर, प्याज और आलू की महंगाई बढ़कर 48.4 फीसदी पर पहुंच चुकी है. ऐसी आशंका है कि आलू की कीमतें लगातार तेज हो सकती हैं और अक्टूबर से बाजार में उसकी कमी महसूस हो सकती है. आम तौर पर हर साल बाजार में नवंबर-दिसंबर में आलू की कमी देखी जाती रही है, लेकिन इस बार पहले से ही असर दिखने की आशंका है.

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