नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जीका वायरस (Zika Virus) के मामले बढ़कर 8 हो गए हैं। डॉक्टरों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि गर्भवती महिलाओं को जीका वायरस का गंभीर खतरा है। इससे उन्हें कई तरह की गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंच सकता है। जीका वायरस डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। हालांकि यह एक कम घातक बीमारी है। मगर गर्भावस्था के दौरान संक्रमित होने पर जीका विकासशील भ्रूण पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। ऐसी अवस्था में माइक्रोसेफली का खतरा बना रहता है, इसमें बच्चे असामान्य रूप से छोटे सिर और अविकसित मस्तिष्क के साथ पैदा होते हैं।
पुणे के रूबी हॉल क्लिनिक (Ruby Hall Clinic) में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, एंडोस्कोपिक सर्जन डॉ. मनीष मचावे (Manish Machwe) ने बताया इस स्थिति के कारण दीर्घकालिक शारीरिक और बौद्धिक विकलांगता हो सकती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस से संक्रमित होने वाली महिलाओं से पैदा होने वाले सभी शिशुओं में यह जन्म से नहीं होगा। हालांकि इस जोखिम से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को उचित कदम उठाने की जरूरत है। डॉक्टर के अनुसार, संक्रमण के फर्स्ट ट्राइमेस्टर (पहले तीन महीने) में सबसे अधिक जोखिम बना रहता है। डॉ मनीष ने कहा इसके अलावा, जीका संक्रमण अन्य गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है जिन्हें सामूहिक रूप से जन्मजात जीका सिंड्रोम (Zika Syndrome) के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा इससे रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे आंखों की रोशनी में समस्या आ सकती है। साथ ही सुनने की क्षमता में भी दिक्कत आ सकती है। गर्भ में और जन्म के बाद भी विकास संबंधी कुछ बाधाएं सामने आ सकती हैं। इसमें जन्म के समय कम वजन और विकास पर असर पड़ सकता है। साथ ही इसमें जोड़ों से जुड़ी कुछ समस्याएं भी सामने आ सकती हैं, जिससे आर्थ्रोग्राइपोसिस (Arthrogryposis) होता है। जीका वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से व्यक्ति में फैलता है। इसके शुरुआती लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं। इसमें मरीज को बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द और लाल रंग होने जैसी समस्याएं आ सकती हैं। वर्तमान में, महाराष्ट्र से जीका वायरस (Zika Virus) संक्रमण के आठ मामले सामने आए हैं। इसमें से 6 मामले पुणे से, एक कोल्हापुर से और एक संगमनेर से सामने आया है। इनमें से दो मामले गर्भवती महिलाओं के हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था को प्रभावित करने के अलावा यह घातक वायरस भविष्य के गर्भधारण को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गया है। बेंगलुरू स्थित एस्टर महिला एवं बाल अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. कविता कोवि (Kavita Kovi) ने बताया यदि कोई महिला जीका से संक्रमित है तो गर्भधारण से पहले उसे इससे बाहर आने की जरूरत है।अगर संक्रमित रहते हुए कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो यह वायरस बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। डॉक्टर ने कहा अगर किसी गर्भवती महिला को लगता है कि उसे जीका वायरस के लक्षण हो सकते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। उसे अपने डॉक्टर को सारी जानकारी देनी चाहिए।
अगर उसे मच्छरों ने काटा है तो भी उसे बताना चहिए। इस पर डॉक्टर उचित सलाह के साथ परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) से कहा कि वे जीका वायरस के बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द और लाल आंखें जैसे लक्षणों पर नजर रखें तथा तुरंत चिकित्सा सहायता लें। डॉ. कविता ने कहा इस जोखिम को कम करने के लिए मच्छरों के काटने से बचने के उपायों सहित चिकित्सा सलाह (Medical Advice) का पालन करना आवश्यक है। साथ ही देखभाल के साथ नियमित जांच और डॉक्टरों से संभावित जोखिमों पर बात करने की जरूरत है। डॉ. मनीष ने गर्भवती महिलाओं से कहा कि वे जीका से प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने से बचें और मच्छरों के काटने से खुद को बचाएं।
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