नई दिल्ली। फैटी लिवर डिजीज (Fatty Liver Disease) का जल्द पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) जरूरी है, सिर्फ ब्लड टेस्ट पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञों ने गुरुवार को कहा कि इस समय फैटी लिवर डिजीज का पता लगाना मुख्य रूप से मरीज के इतिहास, फिजिकल एग्जामिनेशन (Physical Examination) और ब्लड टेस्ट के कॉम्बिनेशन पर निर्भर करता है, जिसमें लिवर एंजाइम लेवल और लिवर फंक्शन के मार्कर शामिल हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अल्ट्रासाउंड और फाइब्रो स्कैन (Fibro Scan) जैसे इमेजिंग स्टडी, लिवर को देखने और फैट जमा होने का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
कोलकाता के अपोलो अस्पताल के सीनियर हेपेटोलॉजिस्ट डॉ आकाश रॉय (Aakash Roy) ने कहा अल्ट्रासाउंड जैसी इमेजिंग तकनीकों के माध्यम से जल्दी और सटीक पहचान से समय पर हस्तक्षेप, लाइफ स्टाइल में बदलाव और उपचार योजनाएं बनाई जा सकती हैं, जिससे मरीज में अच्छा सुधार हो सकता है। इसलिए, मैं स्वास्थ्य पेशेवरों से अपील करता हूं कि वे फैटी लिवर डिजीज के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) को ज्यादा नियमित निदान उपकरण के रूप में अपनाने पर विचार करें और मरीज देखभाल को बेहतर बनाने के लिए इसके लाभों का अधिक व्यापक रूप से उपयोग करें। फैटी लिवर डिजीज मोटापे और डायबिटीज से संबंधित है।
अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) का सेवन करने से इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है, और लंबे समय तक हाई इंसुलिन स्तर इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है। यह चयापचय को बाधित करता है और अतिरिक्त ग्लूकोज को फैटी एसिड में बदल देता है, जो लिवर (यकृत) में जमा हो जाता है। इसे दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है। जैसे- एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग (AFLD) और नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी/एमएएसएलडी)। यह लिवर की सूजन और क्षति से जुड़ा होता है, जो आखिरकार फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लिवर कैंसर (Liver Cancer) का कारण बनता है। अपोलो हॉस्पिटल्स की ओर से हाल ही में किए गए अध्ययन में 53,946 लोगों ने निवारक स्वास्थ्य जांच कराई, जिनमें से 33 प्रतिशत लोगों में फैटी लीवर का पता चला। विशेषज्ञों ने कहा कि फैटी लिवर वाले लोगों में से केवल 3 में से 1 में ही लीवर एंजाइम का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया।
यह दर्शाता है कि हमारे स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में निदान हस्तक्षेप को सभी व्यक्तियों में ऐसी स्थितियों का जल्द पता लगाने और उन्हें ठीक करने के लिए केवल बल्ड टेस्टों पर निर्भर रहने से आगे बढ़ने की जरूरत है। पीडी हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी, माहिम के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के जूनियर कंसल्टेंट डॉ. पवन ढोबले ने बताया फैटी लिवर डिजीज (रोग) के प्रभावी प्रबंधन के लिए शुरुआती पहचान जरूरी है। अल्ट्रासाउंड इमेजिंग फैटी लिवर (Ultrasound Imaging Fatty Liver) के ग्रेड की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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