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नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने देशों से मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के खिलाफ सतर्कता बढ़ाने को कहा है, वहीं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने भी चेतावनी देते हुए कहा है कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में बच्चों की जरूरतों को प्राथमिकता देना बहुत आवश्यक है। एमपॉक्स के नए वेरिएंट (क्लेड 1 बी) के छोटे बच्चों सहित हर उम्र के लोगों में फैलने की प्रवृत्ति के कारण यह एक चिंता का विषय है। एमपॉक्स (Ampox) हजारों बच्चों को पूरे अफ्रीका महाद्वीप में संक्रमित कर रहा है। वैश्विक मानवीय संस्था के मुताबिक जो बच्चे पहले से कुपोषण या किसी और बीमारी से ग्रसित हैं, उन बच्चों को एमपॉक्स से ग्रसित होने का ज्यादा खतरा है। यह विषाणु शारीरिक संपर्क या इस बीमारी से ग्रसित लोगों के शरीर से निकलने वाले तरल के संपर्क से आसानी से फैलता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति की चीजें जैसे कपड़े आदि के भी संपर्क में आने से यह फैल सकता है।
संक्रमित व्यक्ति से मुंह या लार के संपर्क में आने से भी इस वायरस के फैलने की संभावना होती है। साथ ही गर्भवती महिलाओं के इस वायरस की चपेट में आने से इस वायरस के अजन्मे बच्चे में भी फैलने की संभावना रहती है। यूनीसेफ (UNICEF) के मुताबिक बच्चे अपने माता- पिता या अपने परिवार के सदस्यों के साथ बड़ी जल्दी ही संक्रमित हो जाते हैं। वह इन लोगों के साथ नजदीकी शारीरिक संपर्क में होते है और इन लोगों के अंदर एमपॉक्स वायरस के लक्षण आने पर बच्चे बहुत जल्दी संक्रमित हो जाते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण स्मॉल पॉक्स जैसे होते हैं। शुरुआत में ये कम गंभीर दिखते हैं। ये लक्षण त्वचा पर दाने, बुखार, गले में सूजन, सर दर्द, शारीरिक दर्ज, शरीर में थकावट जैसे होते हैं। 15 साल से कम उम्र के बच्चों में पाए गए केसों में आधे से अधिक मामले अकेले कांगो गणराज्य में सक्रिय हैं।
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विश्वभर में सबसे अधिक प्रभावित देशों में, व्यापक कुपोषण, भीड़भाड़ वाली जीवन स्थितियां, अन्य संक्रामक बीमारियों की उपस्थिति, और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच एमपॉक्स के प्रसार को बच्चों के लिए एक खतरनाक स्थिति बना रही है। यूनिसेफ (UNICEF) ने कहा है कि वह अफ्रीका और डब्लूएचओ के साथ-साथ यूएसएआईड और एफसीडीओ जैसे अन्य भागीदारों के साथ मिलकर राष्ट्रीय सरकारों को समर्थन प्रदान कर रहा है। यूनिसेफ ने जोर देते हुए कहा, “हमारी प्रतिक्रिया व्यापक है, जिसमें बच्चों, गर्भवती महिलाओं, गरीब समुदायों को प्राथमिकता दी जा रही है। हमारी प्राथमिकता रोग के प्रसार को रोकना और बच्चों और समुदायों पर इसके द्वितीयक प्रभावों जैसे कि बाल संरक्षण और स्कूल बंद करने के मुद्दों को संबोधित करना है।