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अपेंडिक्स कैंसर का देर से पता लगना चिंता का विषय

नई दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि अपेंडिक्स कैंसर (Appendix Cancer) का समय से पता लगाना मुश्किल होता है। इसके बाद के चरणों में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे उपचार के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। अगस्त में अपेंडिक्स कैंसर जागरूकता महीना मनाया जाता है। अपेंडिक्स एक छोटा अंग है जो कोलन से जुड़ा होता है। अपेंडिसाइटिस एक आम समस्या है, लेकिन अपेंडिकुलर कैंसर दुर्लभ है। आमतौर पर इसका पता तब चलता है जब मरीज किसी और बीमारी का इलाज करा रहा हो। विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर सहित अधिकांश बीमारियों में बेहतर जीवन के लिए बीमारी का शुरू में ही पता लगाना महत्वपूर्ण है। लेकिन वहीं अपेंडिक्स कैंसर की दुर्लभता और लक्षणों की कमी के कारण इसका पता लगाना अधिक कठिन हो जाता है। 

राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. शुभम जैन ने बताया अपेंडिकुलर कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे हाल ही में एक अलग इकाई के रूप में पहचाना गया है। पहले इसे आंत के कैंसर यानी छोटी आंत और बड़ी आंत के कैंसर के साथ मिला दिया जाता था। इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। अधिकांश लोगों में इसे सामान्य तीव्र एपेंडिसाइटिस माना जाता है। डॉक्टर ने बताया अधिकांश रोगियों में शुरुआत में अपेंडिसाइटिस होने का गलत निदान किया जाता है। इसके लिए उनकी अपेंडेक्टोमी की जाती है, इसके बाद बायोप्सी रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जाती है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह अपेंडिसियल नियोप्लाज्म है या अपेंडिक्स कैंसर। 

इसके अधिकांश मामलों की पहचान उन्नत चरणों में की जाती है और अधिकांश कैंसर का शुरुआती चरणों में गलत इलाज किया जाता है। हालांकि अपेंडिक्स कैंसर के प्रारंभिक चरण में कोई लक्षण नजर नहीं आते या यह हल्के और गैर विशिष्ट होते हैं। मगर जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, व्यक्ति को पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द, मल त्याग की आदतों में बदलाव या दस्त, वजन घटना, थकान, पेट में गांठ या द्रव्यमान महसूस होने के साथ अपेंडिक्स के फटने पर पेट की परत में सूजन का अनुभव हो सकता है। 

गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. विनय गायकवाड़ ने बताया अपेंडिकुलर कैंसर महिलाओं में अधिक आम है और बढ़ती उम्र के साथ इसके मामले बढ़ते जाते हैं। धूम्रपान एक जोखिम कारक है। एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस या घातक एनीमिया का इतिहास भी इस बीमारी के विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। दुर्भाग्य से अधिकांश अपेंडिकुलर कैंसर का पता अपेंडिक्स को सर्जरी के बाद हटाने के बाद चलता है, जबकि न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और कम-ग्रेड म्यूसिनस ट्यूमर कम आक्रामक होते हैं और बेहतर उपचार परिणाम देते हैं। 

अपेंडिकुलर एडेनोकार्सिनोमा कोलोरेक्टल कैंसर के समान व्यवहार करते हैं और विशेष रूप से बाद के चरणों में उनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है। इसका सामान्य उपचार सर्जरी ही है। इसमें आमतौर पर कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है। यदि उपचार के हिस्से के रूप में कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है, तो इससे प्रजनन क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। डॉ. गायकवाड़ ने कहा अपेंडीक्यूलर कैंसर सभी समूहों को प्रभावित कर सकता है। इसका पता लगाने के साथ इसका उपचार बेहतर जीवन की कुंजी है।

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By NI Desk

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